आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश में महिलाओं की होगी सशक्त भागीदारी : सीएम शिवराज
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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमेप में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता में लिया गया है, जिससे प्रदेश की महिलाएँ अपने हुनर से आत्म-निर्भर बनेगीं और मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिये राज्य सरकार उन्हें हर संभव मदद कर रही है। महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा, महिला-कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक उन्नति, रोजगार, समानता, बेटी-बचाओं और महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रभावी कार्य किये जा रहे है। महिलाओं और बच्चियों के लिये अनेक योजनाएँ भी संचालित की जा रही हैं, इन योजनाओं का लाभ उन्हें उनके हक के आधार पर दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ऐसा कोई काम नहीं है, जो महिलाएँ नहीं कर सकती। मध्यप्रदेश में महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने के गम्भीर प्रयास किये जाएंगे, जिससे महिलाओं की सशक्त भागीदरी प्रदेश के विकास में सुनिश्चित की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक संबल देने का कार्य निरंतर किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदेश के महिला स्व-सहायता समूहों के खातों में 200 करोड़ रूपये अंतरित किये गये हैं। अब प्रत्येक माह समूहों के खाते में 150 करोड़ रूपये डाले जाएंगे। महिला स्व-सहायता समूहों को अब 4 प्रतिशत दर की जगह 2 प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। शेष ब्याज की राशि सरकार देगी। महिला स्व-सहायता समूहों को इस बार गेहूँ और अन्य फसलों की खरीदी से भी जोड़ा जा रहा है। साथ ही मध्यान्ह भोजन में प्रयुक्त सामग्री भी महिला स्व-सहायता समूह से क्रय की जाएगी। पंचायत स्तर पर होने वाले सर्वेक्षणों, मनरेगा के तहत 50 प्रतिशत मेट महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य होगी। शासकीय स्कूलों के बच्चों की यूनिफार्म बनाने का काम भी महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपा गया है। कुल मिलाकर प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लोकल को वोकल बनाया जा रहा है।

घर-परिवार में महिलाओं का वजूद बनाने के लिये राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जमीन में पति के साथ पत्नी का नाम जोड़ना जरूरी होगा। नई सम्पत्ति बहन, माँ, बेटी, पत्नी के नाम पर खरीदने पर रजिस्ट्रेशन में दो प्रतिशत की छूट का प्रावधान भी किया। आवास योजनाओं में पति-पत्नी दोनों का संयुक्त नाम होगा।

पुरूष प्रधान मानसिकता को बदलने के लिये उमंग कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इसमें कक्षा 9वीं से 11वीं के बच्चों को लड़कियों को इज्जत देने के संस्कार दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में बच्चियों के प्रति अपनत्व जगाने के लिये शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना में आज 38 लाख से अधिक प्रदेश की बेटियाँ लाड़ली लक्ष्मी हैं। इन लाड़ली लक्ष्मियों की शिक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार उठा रही है। आई.आई.टी., आई.आई.एम, डॉक्टरी, इंजीनियरिंग सहित देश-विदेश में इनकी उच्च शिक्षा की फीस सरकार वहन करेगी। प्रदेश में शीघ्र ही नारी सम्मान कोष भी स्थापित किया जाएगा।

प्रदेश में महिलाओं के लिये संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ केन्द्र सरकार की महिलाओं संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश हमेशा अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। हाल ही में केन्द्रीय महिला-बाल विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की समीक्षा की गई। इसमें योजना के सफल क्रियान्वयन और 152 प्रतिशत उपलब्धि अर्जित करने पर मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय स्तर प्रथम स्थान दिये जाने की घोषणा की गई है। योजना अन्तर्गत समस्त गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को प्रथम जीवित जन्मे बच्चे पर निर्धारित शर्तों की पूर्ति उपरान्त प्रति हितग्राही 5 हजार रूपये तीन किस्तों में दिये जाने का प्रावधान है।

बेटियों और महिलाओं के प्रति राज्य सरकार पूर्ण संवेदनशील है। प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक विधानसभा से पारित हो गया है। अधिनियम के तहत ऐसे अपराधी जो डरा, धमकाकर, बहला-फुसलाकर बेटियों को बरगलाते हैं, उन्हें आजीवन कारावास की कड़ी सजा दिलाई जाएगी। प्रदेश की गुम हुई बेटियों का पता लगाने के लिये ‘मुस्कान अभियान’ प्रारंभ किया गया है। इस अभियान में 9 हजार लापता बेटियों को ढूँढ कर उनके अभिभावकों को सौंपा गया है। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने न केवल दुराचार करने वाले अपराधियों को फाँसी की सजा का प्रावधान किया बल्कि अब तक 72 अपराधियों को फाँसी की सजा भी दिलवाई जा चुकी है। बेटियों की आत्म-रक्षा के लिए अपराजिता कार्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है। इसमें पहले चरण में प्रदेश की 23 हजार छात्राओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जाएगी।

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