कोरोना से जंग जीतने के बाद हंसना, बोलना छोड़ गुमसुम हो रहे लोग, ऐसा हो तो समझ जाएं हार्मोन का स्तर गड़बड़ा रहा

लखनऊ : बरेली एक सप्ताह पहले सिविल लाइंस निवासी व्यापारी की पत्नी कोरोना संक्रमण से ठीक हुई। अस्पताल से लौटीं तो गुमसुम रहने लगीं। हंसना न किसी से बात करना। कोई पास आकर बात करने की कोशिश करे तो कोरोना हो जाएगा, यह कहकर दूर रहने की हिदायत देतीं।

हालांकि घर के काम सामान्य तरीके से करतीं। पति ने जिला अस्पताल में दिखाया तो पता चला कि सेरोटोनिन और डोपामाइन हार्मोन प्रभावित होने से अवसाद में थीं। काउंसिलिंग व योग के बाद अब उनकी हालत में सुधार है।

आक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले पोस्ट कोविड मरीजों में मनारोग की ऐसी शिकायतें सामने आ रही हंै। विशेषज्ञ कहते हैं कि मेडिकल आक्सीजन से फेफड़ों की पूर्ति तो हो गई, मगर दिमाग में आपूर्ति की सामान्य प्रक्रिया गड़बड़ा गई। इसी वजह से डोपामाइन, सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर असंतुलित होता गया।

मनोरोग इसी का दुष्परिणाम हैं। ये हैं लक्षण -कोरोना से उबरने के बाद जब लोग घर पहुंच एकांत और अकेले में रह रहे हैं। -हंसना, बोलना, खाना के लिए मना करते रहना। -परिवार के लोगों के बीच रहकर भी डर सताना।

जिला अस्पताल के मनकक्ष प्रभारी डा. आशीष बताते हैं कि बीते कुछ दिनों से पोस्ट कोविड मरीजों का आना ज्यादा शुरू हुआ है। रोजाना तीन-चार मरीज अपनी समस्या बताते हैं, जिनकी काउंसिलिंग की जा रही। — क्या है डोपामाइन मनोचिकित्सक डा. आशीष बताते हैं कि डोपामाइन हार्मोन हमारी ब्रेन पावर के लिए जिम्मेदार होता है।

शरीर में डोपामाइन हार्मोन की कमी या असंतुलन की वजह से थकावट, ध्यान न लगा पाना, भूलना, नींद न आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इसके बढ़ने से गुस्सा बढ़ता है। — क्या है सेरोटोनिन न्यूरोलॉजिस्ट डा. अंकुर गर्ग बताते हैं कि सेरोटोनिन ही वह हार्मोन है जो हमारे मूड को अच्छा बनाए रखता है।

यह हमारे मस्तिष्क के जरिये हमारे मनोभावों को नियंत्रित करता है। यह हमें आत्मविश्वास देता है और सुरक्षा की भावना विकसित करता है। इसके कम होने से अस्थिरता आने लगती है।

हार्मोन का संतुलन बिगड़ने से बढ़ती मानसिक विकृति न्यूरोलाजिस्ट डा. अंकुर गर्ग बताते हैं कि मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी से हार्मोन या कहें न्यूरोट्रांसमीटर का बैलेंस खराब तो होता है। कई बार अकेले में रहने और एक ही चीज को बार-बार देखने से मरीज डिप्रेशन में चला जाता है।

ब्रेन एक परफेक्ट बैलेंस में जीता है। यह डोपामाइन, सेरोटोनिन, नोरएपीनेफरल और एसीटाइलकोलीन हार्मोन या कहें न्यूरोट्रांसमीटर के बैलेंस खराब होने से मानसिक विकृति बढ़ती है। 

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