देश को आत्म-निर्भर बनाने में नई शिक्षा नीति की अहम भूमिका – राज्यपाल आनंदी बेन पटेल

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा आयोजित वार्षिक दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि देश को आत्म-निर्भर बनाने के लिये नई शिक्षा नीति की अहम भूमिका रहेगी। नई शिक्षा नीति के माध्यम से युवाओं को समय और जरूरत के मान से रोजगारोन्मुखी शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जायेगा। नई शिक्षा नीति जीवन उपयोगी रहेगी।

समारोह में इसरो के पूर्व अध्यक्ष श्री ए.एस. किरण कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेणु जैन भी उपस्थित थीं।

राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने अपने उद्बोधन की शुरूआत में सीधी जिले में हुई दुर्घटना पर संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि माँ अहिल्या बाई के जीवन से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनका पूरा जीवन प्रेम, सदभाव, मानवीयता, भक्ति, पशु प्रेम से ओत-प्रोत रहा है। श्रीमती पटेल ने कहा ‍कि शिक्षा का जितना तेजी से विस्तार होगा, आत्म-निर्भता भी उतनी ही तेजी से बढ़ेगी। देश किस तरह से आत्म-निर्भर बने, इसके लिये शोध किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा देने तथा 50 प्रतिशत युवाओं को उच्च शिक्षित बनाने के लक्ष्य की पूर्ति के लिये जमीनी स्तर पर कारगर प्रयास होना चाहिए। बालिकाओं की शिक्षा के साथ-साथ उनके पोषण स्तर में सुधार लाने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाये जाना चाहिए। बालिकाओं को शिक्षित करने और पोषण स्तर में सुधार लाने के लिये नई शिक्षा नीति में प्रावधान किये गये हैं। शिक्षा संस्थानों को कुपोषण में सुधार लाने के लिये आगे आना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि नई शिक्षा नीति जीवन उपयोगी बनेगी। इस नीति में नवाचार होंगे। समय और जरूरत के मान से शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जायेगा। पाठ्यक्रमों में 30 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर से जोड़ा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे आचार-विचार भी होना चाहिए। युवाओं को बाल विवाह, दहेज आदि कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिये आगे आना चाहिए।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष ए.एस किरण कुमार ने कहा कि समय की जरूरतों के हिसाब से विद्यार्थियों को तैयार करना होगा। उन्हें इस तरह से शिक्षण-प्रशिक्षण देना होगा, जिससे की वे आने वाली समस्याओं का समाधान कर पायें। शिक्षा का क्षेत्र चुनौतीपूर्ण है। नयी सदी की जरूरतों को देखते हुए शिक्षा दी जाना चाहिए। भारत में शिक्षा की समृद्ध परम्परा रही है। देश में ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी की क्षेत्र में भी उपलब्धि पूर्ण कार्य हुए हैं। इस दिशा में भारत ने विश्व में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। भारत को पुन: विश्वगुरू बनाने के लिए सबको कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थ-व्यवस्था है। आज के समय में युवाओं के पास जबरदस्त अवसर है। युवा अपने ज्ञान और कौशल को साबित करें।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि माँ अहिल्या का जीवन हम सबके लिए आदर्श एवं प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह हर विद्यार्थियों के जीवन के लिये गौरवमयी और स्मरणीय क्षण होता है। उन्होंने कहा कि आज समाज के सामने नई चुनौतियाँ हैं। शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। भारत में शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। नई शिक्षा नीति शीघ्र लागू की जा रही है। यह शिक्षा नीति सरल, सर्व-व्यापी तथा सर्वत्र होगी। नई शिक्षा नीति से शिक्षा के उच्चतम मापदण्ड स्थापित किये जायेंगे।

कार्यक्रम में प्रतिभावान विद्यार्थियों को स्वर्ण तथा रजत पदक,  पीएचडी एवं डी-लिट की उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय पर प्रकाशित डाक टिकिट का विमोचन किया गया। प्रारंभ में कुलपति श्रीमती रेणु जैन ने स्वागत भाषण दिया और विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव अनिल शर्मा ने किया।

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