नई दिल्ली : एक सप्ताह से अधिक का वक्त गुजर चुका है और संसद का कामकाज ठप है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा सांसदों को निर्देश दिया है कि विपक्ष और खासकर कांग्रेस को जनता के सामने बेनकाब करें।
उन्हें बताएं कि जान-बूझकर अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है। मनगढ़ंत आरोप लगाया जाता है। कोरोना जैसे अहम मुद्दे पर बैठक का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस बहिष्कार करती है।
सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन उसे सिर्फ हंगामा अच्छा लगता है। मंगलवार को संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री का निर्देश था कि जनता और मीडिया के सामने विपक्ष को तथ्यों के साथ बेनकाब करना चाहिए।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना जैसे मुद्दे, जिससे पूरा देश पिछले डेढ़ साल से जूझ रहा है, पर संसद के भीतर व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी। चर्चा के दौरान विपक्ष को सरकार की कमियों को उजागर करने का मौका मिलता। वहीं सरकार को इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों को रखने का अवसर भी मिलता।
इसलिए ज्यादा दम दिखा रहा विपक्ष संसद का मानसून सत्र राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। इसके पहले बंगाल चुनाव के नतीजे आए हैं, जिससे विपक्ष उत्साहित है। आगे उत्तर प्रदेश का चुनाव है। यही कारण है कि विपक्ष कुछ ज्यादा दम दिखा रहा है।
मानसून सत्र के पहले दिन से हंगामा मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने प्रधानमंत्री को अपनी सरकार के नए मंत्रियों का परिचय भी नहीं कराने दिया था। उसके बाद से विपक्ष पेगासस मुद्दे पर संबंधित मंत्री का बयान तक नहीं होने दे रहा है।
सरकार की तरफ से जारी है बातचीत संसद में विपक्ष द्वारा उत्पन्न गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार की तरफ से बातचीत जारी है। लेकिन संकेत है कि इस सप्ताह भी विपक्ष कामकाज को ठप ही रखना चाहता है।
जल्द रास्ता नहीं निकला तो उग्र होगा टकराव पहले दिन भी मोदी ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा था कि सरकार में महिला, अनुसूचित जाति, ओबीसी, आदिवासी मंत्री बढे़ हैं। कांग्रेस को यह नहीं पच रहा है।