मध्यप्रदेश: स्कूल खोले जाने पर बाद में निर्णय होगा; 31 दिसंबर तक पहले जैसी स्थिति रहेगी
मध्यप्रदेश: स्कूल खोले जाने पर बाद में निर्णय होगा;  31 दिसंबर तक पहले जैसी स्थिति रहेगी, 90 प्रतिशत पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं

मध्यप्रदेश में 22 मार्च को पहले लॉकडाउन से स्कूल बंद हैं। अब लगभग 8 महीने बीत चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा करने के बाद अब यह 31 दिसबंर 2020 तक बंद रहेगा। जनवरी में भी स्कूल खुलते हैं या नहीं इस पर अब निर्णय बाद में होगा। हालांकि 9 वीं से 12 वीं तक अब भी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा गाइड लाइन के अनुसार ही चलेंगे।

इधर बोर्ड क्लास को छोड़कर अन्य क्लास में जनरल प्रमोशन दिए जाने की बात उठने लगी है, लेकिन स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार इसे एक सिरे से खारिज कर चुके हैं। इस संबंध में एसोसिएशन ऑफ अन-एडेड प्राइवेट स्क्रीनजज मध्यप्रदेश और सहोदय ग्रुप ऑफ सीबीएसई होमल्ज का सयुंक्त प्रतिनिधित्व मंडल भी मंत्री से बात कर चुका है। स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं।

शिक्षक 21 सितंबर से स्कूल जा रहा है

मध्य प्रदेश में शासकीय और प्राथमिक विद्यालय 6 महीने बाद 21 सितंबर से केवल आंशिक रूप से खुलने लगे हैं। हालांकि कक्षाएं नहीं लगाई जा रही हैं। सिर्फ 9 वीं से 12 वीं तक के छात्र परिजन की अनुमति लेने के बाद थोड़े समय के लिए पढ़ने के लिए आ रहे हैं। इसमें शिक्षक विद्यालय नियमित रूप से आ रहे हैं। शिक्षकों को स्कूल आने की अनुमति नहीं थी, लेकिन नए आदेश में 21 सितंबर से सभी शिक्षकों को स्कूल आना अनिवार्य है।

छह फीट की दूरी जरूरी है

स्कूल में एक-दूसरे के बीच कम से कम छह फीट की दूरी रखना अनिवार्य है। पूरे समय फेस-कवर या फेस का उपयोग करने के साथ साबुन से बार-बार हाथों को धोना या उन्हें सैनिटरीज़ करना ज़रूरी है। विद्यालय की सभी ऐसी सतहों और उपकरणों का कक्षा शुरू होने और समाप्ति के बाद एक प्रतिशत हाइपो क्लोराइड के उपयोग से डिसइन्फेक्शन (कीटाणु शोधन) करना होगा। स्कूल में केवल कोरोना निगेटिव व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी। विद्यालय में को विभाजित -19 के निवारक उपायों से संबंधित जानकारी प्रदर्शित की जाएगी।

इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा

आश्रम जोन में स्कूल खोलने की अनुमति नहीं है। साथ हीशिपमेंट जोन में निवासरत छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को स्कूल में आने की अनुमति नहीं होगी। बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक रहेगी। छात्रों की भावनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक, स्कूल काउंसलर्स और स्कूल स्वास्थ्य कार्यकर्ता काम करेंगे।

पॉजिटिव आने पर पूरा परिसर सैनिटरीज़ होगा

छात्र, शिक्षक या कर्मचारी द्वारा फू, खांसी या शवांस लेने में कठिनाई होने पर मिश्रित चिकित्सा सुविधा संस्थान को तुरंत चिह्नित करना आवश्यक है। उसका चिकित्सीय परामर्श लेना होगा। यदि व्यक्ति पॉजिटिव आता है, तो पूरे परिसर को सैनिटरीज़ किया जाएगा।

बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं पैरेंट्स

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार शिक्षा विभाग माता-पिता को उनके बच्चे को स्कूल भेजना के लिए बाध्य नहीं करेगा। इसके बाद 132 राजकीय हाईस्कूल और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 40 हजार स्टूडेंट्स के पैरेंट्स से विभाग ने बहस की। इसमें से केवल 5 हजार स्टूडेंट्स के पैरेंट्स अपने बच्चों को आंशिक रूप से खुले स्कूलों में भेजने को तैयार हैं।

 

 

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