लॉकअप में आरोपियों को पहनाई हथकड़ी, फिर फोटो किए वायरल, अब 50-50 हजार का कैश देंगे
लॉकअप में आरोपियों को पहनाई हथकड़ी, फिर फोटो किए वायरल, अब 50-50 हजार का कैश देंगे

अयोध्या नगर के दो पुलिसकर्मियों ने महिला की शिकायत पर उसके पति और देवर के खिलाफ मारपीट का झूठा केस बनाया। इसके बाद उन्हें लॉकअप में हथकड़ी लगाकर बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं, इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। यह सब कारवानी अब उन पुलिसकर्मियों पर भारी पड़ रहा है। दरअसल, वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले का संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया और मध्य प्रदेश पुलिस के साथ यूपी पुलिस को इस मामले की जांच करने को कहा। मध्य प्रदेश पुलिस ने तत्कालीन तत्कालीन थाना प्रभारी और एएसआई को दोषी माना। इस पर एएसआई सुमेर सिंह टेकाम को सस्पेंड कर दिया गया। वहीं, थाना प्रभारी बलजीत सिंह पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाने के साथ-साथ सजा भी दी गई है।

आयोग ने 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया

आयोग ने इसे मानवाधिकारों को हन मानते हुए दोनों आरोपों को 50-50 हजार रुपये का हिसाब भी देने को कहा है। गौरतलब है कि यह प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें किसी आयोग द्वारा की गई जांच में पुलिसकर्मियों को झूठे केस पर कार्रवाई कर गलत रिपोर्ट बनाने का दोषी पाया गया है।

पूरा मामला क्या था?

दरअसल, खुशबू नाम की एक महिला ने अपने पति एम। घनश्याम और देवर के खिलाफ अयोध्या नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। घनश्याम दिल्ली में एक मल्टी नेशनल कंपनी का कर्मचारी है। पुलिस ने 5 जुलाई को दोनों को गिरफ्तार कर लिया और दोनों को धारा 151 के तहत एसडीएम कोर्ट में पेश कर दिया गया। यहां पर उन्हें एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया। दोनों के पास इतनी राशि नहीं थी तो उन्हें जेल भेज दिया गया।

ऐसे हुआ मामला का खुलासा

जांच में सामने आया कि एएसआई टेकाम ने दोनों को 5 जुलाई की दोपहर एक बजे गिरफ्तार किया था। पुलिस ने पकड़ने का स्थान अयोध्या नगर के चौराहे पर रात 11 बजे बताया। अधिकारियों ने जब सीसीटीवी फुटेज निकाली तो पता चला दोनों रात 11 बजे लॉकअप में बंद थे। सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि एएसआई ने दोनों के फोटो खींचकर किसी को भेजे थे। वहीं, एक महिला भी लॉकअप में पीड़ितों के फोटो खींच रही थी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार के पास मामला कैसे पहुंचा?

जानकारी के मुताबिक, लॉकअप मे हथकड़ी लगी आरोपियों के फोटो घनश्याम की पत्नी ने वायरल किए थे। उन्होंने अपने पति के कार्यालय में भी यह वीडियो भेजा। जब वह ड्यूटी ज्वाइन करने पहुंचे तो उनके बॉस और साथियों ने उन्हें यह वायरल वीडियो दिखाया। घनश्याम ने आरोप लगाया कि पुलिस की इस कार्रवाई से उसके छोटे भाई को जीवन ख़राब हो गया। वह यूपीएससी की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब वह एग्जाम नहीं दे पाएगा। ऐसे में उन्होंने पुलिस वालों के खिलाफ मानवाधिकार हनन के संबंध में शिकायत दर्ज की थी।

अयोध्या नगर के दो पुलिसकर्मियों ने महिला की शिकायत पर उसके पति और देवर के खिलाफ मारपीट का झूठा केस बनाया। इसके बाद उन्हें लॉकअप में हथकड़ी लगाकर बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं, इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। यह सब कारवानी अब उन पुलिसकर्मियों पर भारी पड़ रहा है। दरअसल, वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले का संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया और मध्य प्रदेश पुलिस के साथ यूपी पुलिस को इस मामले की जांच करने को कहा। मध्य प्रदेश पुलिस ने तत्कालीन तत्कालीन थाना प्रभारी और एएसआई को दोषी माना। इस पर एएसआई सुमेर सिंह टेकाम को सस्पेंड कर दिया गया। वहीं, थाना प्रभारी बलजीत सिंह पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाने के साथ-साथ सजा भी दी गई है।

आयोग ने 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया

आयोग ने इसे मानवाधिकारों को हन मानते हुए दोनों आरोपों को 50-50 हजार रुपये का हिसाब भी देने को कहा है। गौरतलब है कि यह प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें किसी आयोग द्वारा की गई जांच में पुलिसकर्मियों को झूठे केस पर कार्रवाई कर गलत रिपोर्ट बनाने का दोषी पाया गया है।

पूरा मामला क्या था?

दरअसल, खुशबू नाम की एक महिला ने अपने पति एम। घनश्याम और देवर के खिलाफ अयोध्या नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। घनश्याम दिल्ली में एक मल्टी नेशनल कंपनी का कर्मचारी है। पुलिस ने 5 जुलाई को दोनों को गिरफ्तार कर लिया और दोनों को धारा 151 के तहत एसडीएम कोर्ट में पेश कर दिया गया। यहां पर उन्हें एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया। दोनों के पास इतनी राशि नहीं थी तो उन्हें जेल भेज दिया गया।

ऐसे हुआ मामला का खुलासा

जांच में सामने आया कि एएसआई टेकाम ने दोनों को 5 जुलाई की दोपहर एक बजे गिरफ्तार किया था। पुलिस ने पकड़ने का स्थान अयोध्या नगर के चौराहे पर रात 11 बजे बताया। अधिकारियों ने जब सीसीटीवी फुटेज निकाली तो पता चला दोनों रात 11 बजे लॉकअप में बंद थे। सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि एएसआई ने दोनों के फोटो खींचकर किसी को भेजे थे। वहीं, एक महिला भी लॉकअप में पीड़ितों के फोटो खींच रही थी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार के पास मामला कैसे पहुंचा?

जानकारी के मुताबिक, लॉकअप मे हथकड़ी लगी आरोपियों के फोटो घनश्याम की पत्नी ने वायरल किए थे। उन्होंने अपने पति के कार्यालय में भी यह वीडियो भेजा। जब वह ड्यूटी ज्वाइन करने पहुंचे तो उनके बॉस और साथियों ने उन्हें यह वायरल वीडियो दिखाया। घनश्याम ने आरोप लगाया कि पुलिस की इस कार्रवाई से उसके छोटे भाई को जीवन ख़राब हो गया। वह यूपीएससी की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब वह एग्जाम नहीं दे पाएगा। ऐसे में उन्होंने पुलिस वालों के खिलाफ मानवाधिकार हनन के संबंध में शिकायत दर्ज की थी

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