केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा शिक्षा बजट में कटौती नहीं हुई, नयी शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला हैं

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ने 16 मार्च, 2021 को लोकसभा में वर्ष 2021-22 के लिए शिक्षा मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर हुई चर्चा का उत्तर दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बोलते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनईपी एक आत्मनिर्भर भारत के लिए मजबूत नींव का निर्माण करेगी और भारत को विश्वगुरु के रूप में अपनी स्थिति का दावा करने में मदद करेगी। पोखरियाल ने जोर देकर कहा कि एनईपी को व्यापक रूप से विचार विमर्श करने के बाद तैयार किया गया था, जिसमें शिक्षकों, छात्रों, शिक्षाविदों, अभिभावकों और छात्रों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया था।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनईपी राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, प्रभावशाली, इंटरैक्टिव, नवीन और समावेशी है और यह बराबरी, गुणवत्ता और पहुंच की दृढ़ नींव पर आधारित है। उन्होंने एनईपी 2020 की विशेषताओं के बारे में बताया, जिसमें कक्षा 6 के बाद व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना, रिपोर्ट कार्ड के स्थान पर प्रगति कार्ड, 5 + 3 + 3 + 4 संरचना, आसान प्रवेश / निकास विकल्पों के साथ बहु-विषयक शिक्षा और क्रेडिट का शैक्षणिक बैंक भी शामिल हैं। पोखरियाल ने यह भी कहा कि कई देशों ने एनईपी को दुनिया के सबसे बड़े सुधार के रूप में स्वीकार किया है।

वर्ष 2021-22 के लिए शिक्षा के लिए बजट आवंटन पर बोलते हुए, श्री पोखरियाल ने कहा कि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के लिए, 2021-22 के बजट अनुमान में कुल बजट आवंटन 54873.66 करोड़ रुपये है, जो कि पिछले वर्ष 2020-21 के बजट आवंटन की तुलना में 2,684.59 करोड़ रुपये की वृद्धि है। उच्च शिक्षा विभाग के लिए, 2021-22 के बजट अनुमान में कुल बजट आवंटन 38350.65 करोड़ रुपये है, जो वर्ष 2020-21 के लिए बजट आवंटन की तुलना में 5450.65 करोड़ रुपये की वृद्धि है। अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रोत्साहन के बारे में बोलते हुए, शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि अब छात्रों के बीच पैकेज संस्कृति से पेटेंट संस्कृति में बदलाव किया जा रहा है।

कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल और प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, पोखरियाल ने कहा कि शिक्षा को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यमों स्वयं, स्वयंप्रभा, ई पाठशाला, दीक्षा के माध्यम से प्रदान किया जाता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि छात्रों को 24 घंटे सातों दिन परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पोर्टल शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि बोर्ड परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षा (जेईई और एनईईटी) सफलतापूर्वक आयोजित किए गए थे।

शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि वर्ष 2019-20 में, 8.19 लाख छात्रों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय-इग्नू के माध्यम से शिक्षा प्रदान की गई थी, जबकि वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 3.98 लाख छात्रों का था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में उच्च शिक्षा में अनुसंधान विद्यार्थियों की संख्या 2.02 लाख थी, जबकि वर्ष 2013-14 में यह केवल 1.07 लाख थी।

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