सुधार : तेज गति में भी नहीं कांपेंगे ट्रेनों के कोच, मुरादाबाद रेल मंडल में नई तकनीक के स्लीपर डाले गए

मुरादाबाद : तेज गति से भागती ट्रेन अब पहले की तरह नहीं कांपेगी। इससे यात्रा भी आरामदायक हो सकेगी। ऐसा रेल लाइन के नीचे नई तकनीक के स्लीपर के कारण संभव होगा। इसे बाइड स्लीपर नाम दिया गया है। मुरादाबाद रेल मंडल में 130 किलोमीटर की दूरी तक बाइड स्लीपर डालने का काम किया गया है।बाइड स्लीपर को पुराने स्लीपर से चौड़ा और 40 फीसद अधिक भारी बनाया गया है।

बेहतर परिणाम के लिए रेल लाइन में लगने वाले पैंड्रोल क्लिप में भी बदलाव किया गया है। रेलवे ने देश के सभी प्रमुख रेल मार्गों पर तेज गति से ट्रेन चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए रेललाइन के सुधार का काम किया जा रहा है। इस मामले में मुरादाबाद रेल मंडल बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

वित्तीय वर्ष 2020-21 में रेल मंडल में मशीन के द्वारा 130 किलोमीटर मीटर पुराने स्लीपर के स्थान पर आधुनिक बाइड स्लीपर डालने का काम पूरा कर लिया गया है। इसकी खासियत पुराने स्लीपर के मुकाबले 40 फीसद अधिक भारी होना है। स्लीपर की चौड़ाई भी अधिक है। रेललाइन की स्लीपर से पकड़ बनाए रखने के लिए पैंड्रोल क्लिप लगाने की व्यवस्था होती है।

बाइड स्लीपर में क्लिप लगाने के स्थान की चौड़ाई छह मिली मीटर से बढ़ाकर दस मिली मीटर कर दी गई है, जिससे हैवी पैंड्रोल क्लिप लग सके। छह एमएम में पैंड्रोल क्लिप 800 किलोग्राम की भार को सहन करती है, जबकि दस एमएम की पैंड्रोल क्लिप 1,400 किलोमीटर का भार सहन करेगी। आधुनिक स्लीपर के बाद पत्थर भी कम लगेगा।

पुराने स्लीपर में एक मीटर पर 2.5 क्यूबिक मीटर पत्थर डालना पड़ता है, जबकि बाइड स्लीपर में दो क्यूबिक मीटर पत्थर डालना पड़ता है। आधुनिक स्लीपर व पैंड्रोल क्लिप डालने के बाद 160 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ने के बाद भी स्लीपर अपना स्थान नहीं छोड़ेगा।

तेज गति से चलने के बाद भी ट्रेन के कोच भी नहीं कांपेंगे। तेज गति से चलती ट्रेन की बोगी के अंदर खड़े होने पर भी यात्री के गिरने का खतरा नहीं होगा। चालू वित्तीय वर्ष में 200 किलो मीटर आधुनिक स्लीपर डालने के लिए अप्रैल में मांग की अपेक्षा 300 फीसद स्लीपर व 250 फीसद पत्थर की आपूर्ति हो चुकी है। 

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