सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगी गुरूपूर्णिमा, पीतांबरा पीठ पर पादुका पूजन का होगा विशेष आयोजन, गुरू स्थानों पर होंगे कार्यक्रम

Datia News : दतिया । 24 जुलाई शनिवार को सर्वार्थसिद्धि योग में आषाढ़ माह की पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाने की परंपरा है। सर्वार्थसिद्धि योग 24 जुलाई को दोपहर 12:02 बजे प्रारम्भ होगा। गुरु पूर्णिमा के अवसर ुपर जिले के गुरु स्थाना पर विशेष कार्यक्रम होंगे।

इसके साथ ही पीतांबरा पीठ, अनामय आश्रम, हनुमानगढ़ी, सिंधी मंदिर (गाड़ी खाना), केतन हनुमान मंदिर, गंजी के हनुमान मंदिर, पररशुराम मंदिर, रतनगढ़ माता मंदिर, उनाव बालाजी में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि का आरंभ गत 23 जुलाई शुक्रवार को प्रात: 10 बजकर 44 मिनट से हो गया है। जो 24 जुलाई शनिवार सुबह 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगी।

गुरु पूर्णिमा का पर्व स्थानीय स्तर पर श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। पीतांबरा पीठ में स्वामी जी के शिष्य देश-विदेश से आते है। इसी तरह अनामय आश्रम में भी गुरु भक्तों का जमावड़ा रहेगा।

पीतांबरा में गुरु पादुका पूजन के लिए विशेष व्यवस्था

श्री पीतांबरा पीठ के प्रशासक महेश दुबे ने जानकारी में बताया कि शनिवार को गुरू पूर्णिमा पर्व पर प्रातः 8.30 से 9.30 बजे तक स्वामी जी का विशेष गुरू पाद पूजन होगा। पाद पूजन कार्यक्रम में न्यासी गण, आचार्य, पुजारी भाग लेंगे। इसके बाद 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक सामान्य जन गुरुपाद पूजन कर पाएंगे।

इस पाद पूजन के दौरान वृद्धजनों के लिए आगमन और निर्गम की व्यवस्था अलग से की गई है। इसीके साथ सामान्य दर्शनार्थी मुख्य द्वार से ही अंदर आएंगे, जबकि गुरुभाई और अन्य विशेष लोग उत्तर गेट से मंदिर में प्रवेश करेंगे। सामान्य जन और गुरु भाई एवं विशेष लोगों के निकासी भी अलग-अलग रखी गई है, ताकि लोग आपस में टकरा ना पाए।

चूंकि गुरू पूर्णिमा पर्व के साथ शनिवार भी होने के कारण पीतांबरा पीठ में 20 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना बताई जा रही है। इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने सभी व्यवस्था जुटा ली है।

गुरुपूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं का सम्मान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा है। शास्त्रों में गुरु की विशेष महिमा बताई गई है। गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता है। ज्ञान ही हर प्रकार के अंधकार को दूर कर सकता है। गुरु को विशेष दर्जा प्रदान किया गया है। गुरु को ईश्वर से भी अधिक पूज्नीय माना गया है।

गुरु पूर्णिमा के दिन अंचल के अनेक मठों एवं मंदिरों पर गुरुओं की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दिन से आषाढ़ मास की समाप्ति होती है। उनाव बालाजी में स्नान करने वालों का तांता भी लगेगा।

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