भोपाल : कांग्रेस की राजनीतिक वापसी के लिए संगठन के मौजूदा ढांचे में बदलाव और कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी नेतृत्व ने वरिष्ठ नेताओं के साथ विमर्श का दौर शुरू कर दिया है।
पार्टी के शीर्ष ढांचे में बड़े बदलाव के तहत मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है।
इस बीच कमल नाथ की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से गुरुवार को हुई मुलाकात ने पार्टी के गलियारों में सियासी हलचल बढ़ा दी है।
उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व को लेकर जारी दुविधा को खत्म करना चाहती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इसके मद्देनजर जल्द ही कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू करने की तैयारी हो रही है।
इस बारे में अंतिम फैसला करने के लिए यथाशीघ्र कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाएगी। कार्यसमिति ही अध्यक्ष के चुनाव कार्यक्रम का अंतिम फैसला करती है। पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के बाद एआइसीसी का सत्र भी अगस्त-सितंबर में बुलाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
इसके साथ ही पार्टी के शीर्ष संगठन के पदाधिकारियों में भी बदलाव और फेरबदल की रूपरेखा तैयार की जा रही है। कांग्रेस में चल रही अंदरूनी चर्चा के अनुसार राहुल गांधी दूसरी बार अध्यक्ष की कमान थामने के लिए इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में पार्टी का बड़ा वर्ग सोनिया गांधी को ही अध्यक्ष बनाए रखने के पक्ष में है।
हालांकि, सोनिया गांधी की सेहत ने उनकी राजनीतिक सक्रियता को बेहद सीमित कर दिया है। इसीलिए कमल नाथ को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की बात हो रही है।
जाहिर तौर पर ऐसी स्थिति में कार्यकारी अध्यक्ष के नाते पार्टी के संचालन की जिम्मेदारी कमल नाथ के हाथों में होगी। समझा जाता है कि चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कमल नाथ की बड़ी भूमिका की पार्टी नेतृत्व को सलाह दी है।
प्रशांत किशोर ने अभी चंद दिनों पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकजुटता की रणनीति पर चर्चा के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की थी। कांग्रेस की राजनीतिक चुनौतियों और 2024 के चुनाव के लिए पार्टी को तैयार करने की जरूरत को देखते हुए कमल नाथ कई मायनों में कार्यकारी अध्यक्ष के लिए मुफीद माने जा रहे हैं।
सबसे खास यह है कि वे असंतुष्ट नेताओं के साथ पार्टी के लगभग सभी वर्ग को स्वीकार्य चेहरा हैं। दूसरी बड़ी खासियत है कि वे गांधी परिवार के भी भरोसेमंद हैं। पार्टी में पिछले साल अगस्त में जी-23 की ओर से उठे असंतोष के स्वरों के बीच असंतुष्ट नेताओं ने कमल नाथ को साधने का प्रयास किया था।
वहीं कांग्रेस नेतृत्व ने भी असंतुष्ट नेताओं से बातचीत कर समझाने का जिम्मा कमल नाथ को सौंपा था। उन्होंने काफी हद तक जी-23 के आक्रामक रुख को नरम भी किया। कांग्रेस से बाहर दूसरे विपक्षी दलों और उनके नेताओं के साथ कमल नाथ के मैत्री पूर्ण रिश्ते उनकी बड़ी राजनीतिक ताकत हैं।
अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस के हाथों में रहे यह सुनिश्चित करने में कमल नाथ कारगर साबित हो सकते हैं, क्योंकि ममता बनर्जी, शरद पवार या अखिलेश यादव से लेकर स्टालिन तक सबके साथ उनके अच्छे रिश्ते हैं।