कोटकपूरा गोलीकांड: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार, तैयार की SLP

चंडीगढ़ :  कोटकपूरा गोलीकांड पर हाई कोर्ट के फैसले को पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला कर लिया है। इस फैसले के बाद कैप्टन सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।

सोमवार के बाद किसी भी समय यह याचिका दायर की जा सकती है। एडवोकेट जनरल की ओर से तैयार की गई स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) को मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद गृह विभाग ने भी मंजूरी दे दी है।

चूंकि हाई कोर्ट के आदेश को आए तीन महीने होने वाले हैं इसलिए सरकार किसी भी वक्त यह एसएलपी फाइल कर सकती है। एसएलपी में सरकार इस बात को आधार बना रही है कि हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला लिया है।

हाई कोर्ट में इस केस से संबंधित मात्र एक इंस्पेक्टर गुरदीप से इंसाफ की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने पूरी जांच रिपोर्ट पर ही सवाल उठाते हुए इसे रद कर दिया। जबकि केस अभी ट्रायल कोर्ट में चल रहा है।

जब तक ट्रायल कोर्ट का कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक हाई कोर्ट की ओर से जांच को चुनौती कैसे दी जा सकती थी। कोर्ट ने अपने 89 पन्नों के आदेश में 60 पन्ने केवल जांच प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह के व्यवहार पर ही लगा दिए। सूत्रों का कहना है कि कुंवर विजय प्रताप सिंह की एसआइटी के जुटाए सुबूत को ट्रायल कोर्ट ने अभी देखा ही नहीं था और हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया।

हाई कोर्ट ने तीन विकल्प देते हुए कहा था कि कोटकपूरा कांड की जांच फिर से सीबीआइ को सौंप दी जाए। दूसरा इसे हरियाणा पुलिस को सौंप दिया जाए और तीसरा नई एसआइटी बना दी जाए और जिसमें कुंवर विजय प्रताप सिंह न हों।

सरकार ने तीसरे विकल्प को चुनकर एलके यादव की अगुवाई में नई एसआइटी बना दी। हाई कोर्ट के फैसले से निराश हुए कुंवर विजय प्रताप सिंह ने इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। 

गृह सचिव और एडवोकेट जनरल के बीच नहीं बन रही थी सहमति हाई कोर्ट ने नौ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया हुआ है। सरकार के पास एसएलपी फाइल करने के लिए कुछ ही दिन बचे हैं। एसएलपी को लेकर गृह सचिव अनुराग अग्रवाल और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा के बीच सहमति नहीं बन रही थी।

अनुराग अग्रवाल चाहते थे कि हाई कोर्ट के फैसले को जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए लेकिन एडवोकेट जनरल राजी नहीं थे। उनका कहना था कि जब हाई कोर्ट ने तीन विकल्प दिए थे और हमने ही पुरानी एसआइटी को रद करके नई एसआइटी बनाने का विकल्प चुना है तो यह सुप्रीम कोर्ट में कैसे स्टैंड करेगी। 

कैप्टन सरकार के लिए इसलिए जरूरी हो गया एलपीए दायर करना दिलचस्प यह है कि कैप्टन सरकार के लिए एसएलपी फाइल करना राजनीतिक तौर पर बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले के बाद उनकी अपनी ही पार्टी के कई नेताओं ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत कर दी है।

उनका कहना है कि सरकार ने कोटकपूरा गोलीकांड केस को सही तरीके से हाई कोर्ट में नहीं लड़ा। इस बगावत के बाद कांग्रेस की हाई कमान को तीन सदस्यीय कमेटी को गठित करना पड़ा। 

Share this with Your friends :

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter