नई दिल्ली : दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने ‘न्याय-द जस्टिस’ के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करते हुए एकल पीठ के फैसले के खिलाफ चुनौती याचिका दायर की है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एजे भंभानी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने अंतरिम रोक लगाने से इन्कार कर दिया। फिल्म निर्माता सर ला सराओगी व निर्देशक दिलीप गुलाटी समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
पीठ ने यह निर्देश तब दिया कि जब फिल्म निर्देशक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर लाल ने पीठ को बताया कि फिल्म 11 जून को लपालप नामक ओवर-द-टाप प्लेटफार्म पर रिलीज हो चुकी है।
वहीं, राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि यह कोई अस्पष्ट प्लेटफार्म है। उन्होंने दलील दी कि एकल पीठ ने शीर्ष अदालत द्वारा निजता के अधिकार के संबंध में तय किये गए मानक की गलत तरीके से व्याख्या की है।
उन्होंने यह फिल्म अभिनेता की छवि को खराब करने वाली है और इसका असर उनके मुकदमे पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अभिनेता सुशांत के जीवन को चित्रित करने की कोशिश कर रही है। सुशांत के साथ वास्तव में क्या हुआ इसकी जांच चल रही है।
इससे पहले 10 जून को न्यायमूर्ति संजीव नरूला की एकल पीठ ने फिल्म पर रोक लगाने मांग वाली कृष्ण किशोर सिंह की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मरणोपरांत निजता के अधिकार की अनुमति नहीं है।
उन्होंने कहा था कि इन फिल्मों को न तो सुशांत की बायोपिक के रूप में चित्रित किया गया है और न ही उनके जीवन में जो कुछ हुआ उसका तथ्यात्मक वर्णन है।
पीठ ने सुशांत के पिता की इस दलील को गलत बताया कि फिल्म की सामग्री मानहानिकारक है और इससे उनकी व उनके बेटे की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।
सुशांत के पिता ने याचिका दायर कर ‘न्याय- द जस्टिस’, ‘आत्महत्या या हत्या: ए स्टार वास लास्ट’ व ‘शशांक’ को रिलीज होने से रोक लगाने की मांग की थी।