खाद के संकट ने कृषि विभाग की बढ़ाई चिंता, इधर मानसून की आहट से किसानों ने शुरू की खरीफ बुआई की तैयारी

Datia News : दतिया । मानसून समय पर आने से इस बार किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। दतिया जिले में खरीफ की बुआई के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। जिले में कुल खरीफ की बोवनी लगभग 2 लाख 16 हजार हेक्टेयर में की जानी है। इसके लिए खाद और बीज की स्थिति जिले में पर्याप्त नहीं है। यूरिया, डीएपी, और एसएसपी खाद की जितनी मात्रा में जरूरत है, उसकी तुलना में जिले में आधी ही उपलब्ध है। हालांकि कृषि विभाग का कहना है कि बुआई तक पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध हो जाएगा। इधर दूसरी ओर किसानों का कहना कि उन्हें मुश्किल से खाद मिल पा रही है। ऐसे में खरीफ फसल की तैयारी करने वाले किसानों के लिए यह िस्थति संकट पैदा कर सकती है। इस बार जिले में कुल 75 हजार हेक्टेयर में धान बोया जाना है और लगभग 38 हजार हेक्टेयर में तिल्ली की बुआई की जाएगी।

खरीफ की इन सभी फसलों के लिए खाद की आवश्यकता होगी। समय पर बारिश हो जाती है तो किसानों के सामने खाद का संकट खड़ा हो सकता है। कृषि विभाग का दावा है कि वह खाद का संकट पैदा नहीं होने देंगे, पर खाद की उपलब्धता कुछ और ही कहानी कह रही है। जिले में मानसून ने दस्तक दे दी है, मंगलवार को भी जिले में बरसात हुई है। इसके साथ ही खाद और बीज को लेकर किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। किसानों ने खरीफ की फसल लगाने की तैयारियां करना शुरू कर दी है।

जिले में कृषि विभाग का मानना है कि वर्तमान में तो खाद की उपलब्धता है, किंतु प्रथम चरण के बाद खाद की आवश्यकता पड़ेगी। कृषि विभाग के अनुसार यूरिया वर्तमान में 11,370 टन उपलब्ध है। सहकारी समितियां व अन्य 200 निजी खाद विक्रेताओं के पास अभी वर्तमान में पर्याप्त स्टाक है। अभी जरुरत के मुताबिक तो व्यवस्था है, किंतु बाद में यूरिया की आवश्यकता पड़ने पर मंगवाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इधर डीएपी खाद 3276 मेट्रिक टन की उपलब्धता बताई जा रही है। सोनागिर के किसान फतेहलाल यादव ने बताया कि बुवाई की साथ ही खाद की आवश्यकता लगेगी और अभी खाद के रेट भी निजी दुकानदार मनमाने दामों में बेच रहे हैं। इसी तरह सल्फर सुपर फास्फेट (एसएसएफ) खाद 2400 मेट्रिक टन उपलब्ध है। जिन्हें सहकारी समितियों निजी आउटलेटों के माध्यम से बेचा जाना है।

इतनी खाद की जरुरत पड़ेगी जिले को

जिले में खरीफ का रकबा दो लाख 75 हजार हेक्टेयर का है। इसमें से धान की फसल 75 हजार हेक्टेयर में बोई जाना प्रस्तावित है। इस बार लगभग एक हजार हेक्टेयर धान का रकबा बढ़ाया गया है। रकबा बढ़ाने के साथ खाद के लक्ष्य में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। इससे साथ ही मूंगफली का रकबा भी चार फीसद बढ़ाया गया है। इसके अलावा तिल्ली का रकबा 37 एक हजार हेक्टेयर बढ़ाकर 38 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है। इन फसलों के लिए यूरिया की 19 हजार मेट्रिक टन की जरुरत है। उसमें 11 मैट्रिक टन खाद ही उपलब्ध है। इसी तरह डीएपी खाद का लक्ष्य 15 हजार मेट्रिक टन का है जबकि उपलब्धता 10 हजार 600 मैट्रिक टन है। इसी तरह एसएसपी (सुपर फास्फेट सल्फर) खाद की आवश्यकता 24 हजार मेट्रिक टन है जबकि इसकी उपलब्धता आधे से भी कम है।

किसानों को उठानी पड़ेगी परेशानी

खरीफ फसल की बुआई के बाद किसानों को उपलब्ध खाद से काम चलाना पड़ेगा। इसी बीच 200 से अधिक दुकानदार जो फुटकर यूरिया डीएपी और एसएसपी खाद बेचते हैं, वह आसपास के जिलों तथा उत्तर प्रदेश से किसानों को भी यहां का आवंटन बेच देते हैं। ऐसी स्थिति में खाद की किल्लत जिले में हो जाती है। इस कारण खाद की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

मानक बीज भी उपलब्ध नहीं

क्षेत्र के किसान प्रेमनारायण दांगी ने बताया कि मानक स्तर का बीज उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसके कारण नकली बीज का प्रचलन भी बाजार में बढ़ जाता है। मूंगफली जैसी फसल के लिए उत्तम क्वालिटी का बीज होने पर फसल भी अच्छी मिलती है, किंतु जिले में बीज से संबंधी कोई प्रयोगशाला नहीं होने पर बीज व्यापारी मनमाने स्तर पर कोई भी बीज किसानों को दे देते हैं और जब फसल पकने का मौका आता है तो उन्हें भारी हानि उठानी पड़ती है।

कृषि विभाग दतिया के सहायक संचालक डी.एस. सिद्धार्थ का इस बारे में कहना है कि किसानों के लिए प्रथम दौर के बाद खरीफ फसल के लिए अभी तो वर्तमान में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। हालांकि यह लक्ष्य से कम है। इसके लिए हमने लिखकर ऊपर भेज दिया है। समय पर खाद उपलब्ध हो जाएगा। बीज के मानक स्तर के लिए भी हमने समितियां बना दी हैं और किसान को अच्छा बीज उपलब्ध हो इसके लिए विभाग कार्य कर रहा है।

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