कोरोना में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को पढ़ाएगा संघ, कक्षा छह से लेकर उच्च शिक्षा दिलाने का जिम्मा उठाएगा

बरेली । कोरोना काल मेंे किसी भी बीमारी की वजह से अभिभावकों को खोने वाले बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकेगी। उनकी मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने तैयारी की है। तय हुआ है कि ऐसे बच्चों को कक्षा छह से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई की जिम्मेदारी स्वयंसेवक लेंगे। ब्लाक स्तर तक के स्वयंसेवकों को ऐसे बच्चे तलाशने का जिम्मा दे दिया गया है। बरेली में गांवों तक ऐसे बच्चों की तलाश हो सके, इसके लिए टोलियां बनाई गई हैं।

वहां से स्वयंसेवक जिला कार्यालय को संबधित सूचना देंगे। बताएंगे कि बच्चे का नाम क्या है, मां या पिता का निधन किस वजह से हुआ, अब आर्थिक परिस्थिति क्या है। इस सभी जानकारियों के आधार पर बच्चों की फाइनल सूची बनेगी। संघ के विभाग प्रचारक आनंद ने बताया कि जिले में 78 शिशु एवं विद्या मंदिर हैं। इन स्कूलों में बच्चों को कक्षा छह से 12 तक की पढ़ाई नि:शुल्क कराई जाएगी।

इसके आगे की शिक्षा के लिए सहयोगी डिग्री कालेजों से मदद ली जाएगी। जिन बच्चों को आवासीय सुविधा चाहिए होगी, उन्हें वीरसावरकर नगर स्थित छात्रावास में जगह दी जाएगी। वहां 40 छात्रों के रुकने का इंतजाम हो जाएगा। जरूरी नहीं कि कोरोना से हुई हो मौत बरेली में प्रशासन अब तक 32 बच्चों को तलाश चुका है, जिनके अभिभावक की मौत कोरोना की वजह से हुई। संघ इससे इतर मदद करेगा। पिछले एक साल में किसी भी बीमारी से दम तोड़ने वाले लोगों के बच्चों को यह मदद दी जाएगी। पढ़ाई के सभी खर्च संघ उठाएगा।

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