किसान.. कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे.. लेकिन अब इस आंदोलन की आड़ में हो रही अंतरराष्ट्रीय साज़िश का पर्दाफाश हुआ है.. ज़मीन पर जो हिंसक घटनाएँ हुईं, उसके बारे में सोशल मीडिया पर पोल खुली…पर्यावरण के मुद्दे पर मुखरता से बोलने वाली एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ग़लती से जो टूलकिट ट्विटर पर डाली, उसी से इस साज़िश का खुलासा हुआ जिसे बाद में हटा दिया गया… दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एफ आई आर दर्ज की है.. लेकिन वहीं इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज़ हो गई है..
कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली में दो महीने से ज्यादा समय से आंदोलन जारी है। इस बीच, किसान आंदोलन को समर्थन देने के नाम पर भारतीय लोकतंत्र को निशाना बनाने की साजिश की परतें खुल रही हैं। कृषि कानूनों लेकर सोशल मीडिया पर हुए कुछ भड़काऊ ट्वीटस पर दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने सेक्शन 153A और 120B के तहत यह केस दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने इस एफआईआर में किसी का नाम नहीं लिया है और जांच जारी है।
केंद्र सरकार ने किसानों के मसले पर हो रहे कुछ अंतराष्ट्रीय ट्वीट को साजिश बताते हुए हमला बोला है।
बीजेपी ने इस मामले में विपक्ष पर भी हमला बोला है और उसे आत्मचिंतन करने की सलाह दी है।
सोशल मीडिया के ज़रिए किसान आंदोलन पर कुछ विदेशी हस्तियों द्वारा की जा रही बयानबाजी पर भारत में कड़ी प्रतक्रिया देखी जा रही है। ऐसी सनसनी फैलाने वालों के खिलाफ कड़ा जवाब देते हुए ‘इंडिया टूगेदर’ और ‘इंडिया अगेंन्सट प्रोपोगंडा’ हैशगैट सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। गुरुवार को भी इस मामले में ढेरों ट्वीट हुए। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए विदेश मंत्रालय ने बिना सोचे समझे बयानबाजी से बचने की सलाह दी है। वैसे किसानों के मामले में सियासत खूब जारी है। विपक्ष के कुछ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गया था हालांकि उन्हें पुलिस ने रोक दिया। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक फैसले से भी इस मामले में जमकर बवाल हो रहा है। केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस की ड्यूटी में भेजी गईं DTC बसों को डिपो में तुरंत लौटने का निर्देश दिया है। बीजेपी ने इस मामले में केजरीवाल सरकार को आडे हाथों लिया है।
उधर कृषि सुधार कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की गुरुवार को नई दिल्ली के पूसा संस्थान स्थित नास कॉम्प्लेक्स में पांचवी बैठक हुई जो शुक्रवार को भी जारी रहेगी। बैठक में शामिल समिति के तीनों सदस्यों अनिल घनवट, डॉ प्रमोद जोशी और अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा कि विडियो कॉन्फ्रेंसिग और अन्य डिजीटल माध्यमों के अलावा व्यक्तिगत पेश हो रहे किसान संगठनों और एफीपीओ संगठनों के निष्पक्ष तरीके से विचार त लिए जा रहे है। समिति 12 मार्च तक सर्वोच्च न्यायालय को निर्धारित समय में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
कृषि सुधारों पर देश में समर्थन तो मिल ही रहा है अमेरिका ने भी इसका समर्थन किया है। अमेरिका ने कहा है कि हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है। अमेरिका वार्ता के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है। अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी।