नक्सलियों पर कहर बरपाएंगी कोबरा बटालियन की महिला कमांडो, वामपंथी उग्रवादियों का काल बनकर सफाया करेंगी सीआरपीएफ की महिला कोबरा कमांड. देश की सबसे बड़ी केंद्रीय पुलिस बल, सीआरपीएफ की महिला योद्धा एक और इतिहास रचने जा रही हैं. बल की महिला कमांडो की पहली बार कोबरा बटालियन में तैनाती की जा रही है. लेडी कोबरा कमांडो अब दुर्गम जंगलों में भी सीधे नक्सलियों से लोहा लेंगी.
जंगल वारफेयर में कई महीनों के कठोर प्रशिक्षण के बाद महिला कमांडो की पहली यूनिट को 6 फ़रवरी को कोबरा बटालियन में शामिल किया जाएगा. ये मौका एक तरह से महिला शक्ति को सलाम करने का होगा तो साथ ही इस बात का भी प्रतीक होगा कि मोदी सरकार महिलाओं को किस तरह से हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. वैसे 6 फ़रवरी सीआरपीएफ के लिए इसलिए भी ख़ास है क्यूंकि इसी दिन साल 1986 में बल के पहले महिला बटालियन का गठन हुआ था. महिला बटालियन की स्थापना दिवस के मौके पर 30 से भी ज्यादा महिला योद्धाओं को कोबरा बटालियन में शामिल किया जाएगा. इस मौके पर ऑल वुमन ब्रास बैंड का भी गठन किया जाएगा. ध्यान ये भी रहे कि पहले से ही सीआरपीएफ में ऑल वुमन पाइप बैंड है.
कोबरा बटालियन में महिला कमांडो की तैनाती एक ऐसे वक्त में हो रही है, जब नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अहम मोड़ पर पहुंच गई है. एक तरफ सुरक्षा एजेंसियां वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की तैयारी में हैं वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में उनके कैडर आत्मसमर्पण कर रहे हैं. सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार की समग्र रणनीति के चलते ना सिर्फ तमाम हिंसाओं में शामिल बड़े नक्सली नेता मारे गए हैं बल्कि उनका संगठन भी लगातार कमजोर हुआ है. बीते 5-6 वर्षों में नक्सली हिंसा में कमी और नक्सल प्रभावित जिलों की सिमटती संख्या भी इस बात की तस्दीक करते हैं.
साल 2008 में भारत सरकार ने विद्रोहियों और आतंकियों के साथ निपटने के लिए गुरिल्ला और जंगल वॉरफेयर तरह के ऑपरेशन के लिए कठोर कार्यवाही करने के लिए कमांडो बटालियन कोबरा यानी कमाण्डो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन की स्थापना के लिए मंजूरी दी थी. फ़िलहाल 10 कोबरा बटालियन काम कर रही हैं.