CBI से पहले भी मोर्चा लेती रही हैं ममता, पुलिस ऑफिसर राजीव कुमार के लिए बैठ गई थीं धरने पर

कोलकाता : बंगाल के दो मंत्रियों व एक तृणमूल कांग्रेस विधायक की नारद स्टिंग आपरेशन मामले में गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से सीबीआइ के दफ्तर में धरना देने का यह पहला मामला नहीं था। सीबीआइ के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पहले भी मोर्चा खोल चुकीं हैं। 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद 2013 में जब सारधा चिटफंड घोटाला सामने आया और सीबीआइ जांच की मांग की गई तो उसे रोकने के लिए ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ीं।

लेकिन, 2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप दी और उनके तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी हो गई। इसके खिलाफ ममता ने सड़क पर उतरकर धरना-प्रदर्शन किया था। गिरफ्तारी के खिलाफ धर्मतल्ला में कई दिनों तक धरना प्रदर्शन चला था। सीबीआइ दफ्तर का उस समय भी घेराव किया गया था।

2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान नारद स्टिंग मामला सामने आया, जिसमें तृणमूल के तत्कालीन मंत्री, सांसद, विधायक समेत 12 नेता और एक आइपीएस अधिकारी का वीडियो मोटी रकम लेते हुए सामने आया तो इसकी भी सीबीआइ जांच रोकने के लिए ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। इस बार भी सफलता नहीं मिली और 2017 में हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया। इसके बाद 2018 में बंगाल में राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआइ को जांच की दी गई सहमति ममता ने वापस ले ली।

फिर 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी में सीबीआइ जब चिटफंड घोटाले के लिए ममता सरकार की ओर से गठित विशेष जांच टीम के प्रमुख व कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजीव के आवास पर पहुंच गईं। इसके बाद धर्मतल्ला में वह इस पूछताछ के खिलाफ धरने पर बैठ गईं।

मामला फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और आखिर में राजीव कुमार को सीबीआइ के समक्ष पेश होना ही पड़ा। इसके बाद इसी वर्ष फरवरी में कोयला तस्करी मामले में जब सीबीआइ ममता के भतीजे व सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा से पूछताछ के लिए उनके घर पहुंची तो उससे ठीक पहले ममता भी पहुंच गईं और कुछ देर रहने के बाद चली गईं।

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इसे मामले में भी वह बहुत मुखर रहीं थीं। मामले को ममता ने विधानसभा चुनाव में जमकर मुद्दा बनाया था। सीबीआइ से लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग, यहां तक कि विधानसभा चुनाव में तो केंद्रीय बल और चुनाव आयोग के खिलाफ भी ममता बनर्जी ने मोर्चा खोल रखा था। वह एक बूथ पर धरने पर बैठ गईं थीं। 

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