नई दिल्ली : वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों के और बढ़ने के अनुमान के बीच घरेलू मिलों को चीनी निर्यात के वायदा सौदे पक्के होने लगे हैं। इससे आगामी पेराई सीजन में चीनी मिलों के साथ गन्ना किसानों की भी बल्ले-बल्ले होने का अनुमान है। अग्रिम निर्यात मांग से घरेलू बाजार में भी चीनी के मूल्य में सुधार की उम्मीद है।
वैश्विक बाजार से मिल रहे इन संकेतों से घरेलू चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा, जिससे गन्ना किसानों के भुगतान में विलंब नहीं होगा। गन्ना उत्पादक बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है और इसका सीधा असर वहां के चुनाव पर भी पड़ेगा।
दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश ब्राजील में भीषण सूखा पड़ा है, जिसका असर वहां की खेती पर स्पष्ट रूप से पड़ा है। खासतौर पर गन्ने की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके चलते चीनी की आपूर्ति के गड़बड़ाने का खतरा पैदा हो गया है। इन्हीं संकेतों से वैश्विक जिंस बाजार में चीनी का भाव चढ़ा हुआ है।
इसका फायदा भारत की चीनी मिलों को मिलने लगा है। सरकार के निर्धारित निर्यात कोटा 60 लाख टन के मुकाबले लगभग 70 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। निर्यात मांग लगातार बढ़ रही है।
नतीजतन, कई चीनी मिलों ने एक अक्तूबर से शुरू होने वाले आगामी पेराई सीजन को ध्यान में रखते हुए चीनी निर्यात का सौदा पक्का करना शुरू कर दिया है। वैश्विक बाजार में चीनी का मूल्य चार साल का अधिकतम बोला जा रहा है। इसकी मूल वजह ब्राजील में चीनी के कम उत्पादन की आशंका है।