क्या राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों संगठनों का आंदोलन कल समाप्त हो सकता है। येही एक बड़ा सवाल है। क्योंकि सरकार ने हमेशा की तरह बार बार कहा है कि वो हर मुद्दे, किसान संगठनों की हर आपत्तियों पर साफ नीयत, खुले दिल से वार्ता को तैयार है। चाहे, एमएसपी हो, या हो, मंडियों की मौजूदा स्थिति।
कृषि सुधारों पर देश के अलग अलग हिस्सों से किसानों का केंद्र सरकार को समर्थन का दौर जारी है तो सुधारों के विरोध में बैठे किसानों और सरकार के बीच बुधवार को वार्ता होने जा रही है। बुधवार को कृषि सुधारों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच अगले दौर की वार्ता होगी। केंद्र सरकार ने किसानों को चिट्ठी लिखी थी जिसके जवाब में किसानों ने वार्ता का न्यौता स्वीकार करते हुए कुछ शर्तों के साथ 29 तारीख को बातचीत के लिए हामी भरी थी। इसके बाद सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को खत लिखकर बताया कि 30 दिसबंर को दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में वार्ता के लिए आएं।
कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की जारी चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार साफ नियत और खुले मन से प्रासंगिक मुददों के तर्कपूर्ण समाधान करने को प्रतिबद्ध है। बैठक में किसानों की ओर से भेजे विवरण के मुताबिक तीनों कृषि कानूनों , एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी।
दोपहर बजे किसान मंत्रियों की समिति के साथ वार्ता करेंगे। सरकार और बीजेपी दोनों ने उम्मीद जतायी है कि इस वार्ता से हल निकलेगा।
केंद्र सरकार के तमाम मंत्री और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार कह चुके हैं कि कृषि सुधार किसानों के कल्याण के लिए हैं और इससे उन्हें फायदा होगा। प्रधानमंत्री समेत पूरी सरकार ने साफ किया है कि सरकार किसानों की चिंताओं का समाधान करने को तैयार हैं। इस बीच दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों के आंदोलन की वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है।