नई दिल्ली : पेगासस जासूसी कांड में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इन्कार कर दिया है। सरकार ने कहा कि पेगासस या किसी अन्य साफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, इसकी जानकारी हलफनामे में नहीं दी जा सकती। राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए ऐसी जानकारी सार्वजनिक करना ठीक नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फिर साफ किया कि कोर्ट राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली कोई जानकारी हासिल करने में रुचि नहीं रखता। कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करने वालों ने निजता के अधिकार के हनन का आरोप लगाया है।
कोर्ट सिर्फ यह जानना चाहता है कि क्या किसी स्पाईवेयर का प्रयोग किया गया है और अगर किया गया है तो क्या कानून सम्मत तरीके से किया गयाहै?
सरकार हलफनामा दाखिल करती तो कोर्ट को उसका स्पष्ट रुख पता चलता। लेकिन अगर सरकार हलफनामा नहीं दाखिल करता चाहती तो कोर्ट इस मामले में फैसला सुरक्षित कर रहा है और अंतरिम आदेश पारित करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जरनल तुषार मेहता से कहा कि वह फैसला सुरक्षित रख रही है। दो-तीन दिन में कोर्ट अंतरिम आदेश पारित करेगा।
वरिष्ठ पत्रकार एन राम और एडीटर्स गिल्ड की याचिकाओं सहित आठ-नौ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित हैं। इनमें पेगासस जासूसी कांड की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की गई है। केंद्र सरकार की ओर से शुरू में दाखिल संक्षिप्त हलफनामे में कहा गया था कि याचिकाएं अनुमानों और आशंकाओं तथा मीडिया में आई अपूर्ण जानकारी पर आधारित हैं।
सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष समिति गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सरकार के हलफनामे पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए स्पष्ट तौर पर यह बताने की मांग की थी कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल सरकार ने किया है कि नहीं।
कोर्ट ने भी सरकार से विस्तृत हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने पर फैसले के लिए कोर्ट से कुछ समय मांग लिया था।