भोपाल के पास रातापानी अभयारण्य में तितलियों का सर्वे , पहले दिन मिलीं 55 प्रजातियां

भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक रातापानी अभयारण्य में प्रदेश सरकार ने पहली बार तितलियों का सर्वे शुरू कराया है। इसमें उनकी प्रजातियों की पहचान की जा रही है। शनिवार को पहले दिन सर्वे में 55 से अधिक प्रजातियां मिलीं। सर्वे रविवार को भी होगा।

इसके बाद तितलियों के संरक्षण के लिए योजना बनाई जाएगी। इस कार्ययोजना को अमल में लाने से शाकाहारी वन्यजीव बढ़ेंगे। जंगल की खाद्य श्रृंखला मजबूत होगी। इसका फायदा बाघों को होगा। अभी रातापानी से बाघ शिकार के लिए भोपाल, सीहोर, नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और बुधनी के आसपास आबादी तक पहुंचते हैं। कई बार वे हादसों का भी शिकार हो जाते हैं।

वन्यप्राणी विशेषज्ञ और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के सेवानिवृत्त क्षेत्रीय संचालक अनिल नागर बताते हैं कि तितलियों की उपस्थिति जैव विविधता को दर्शाती है। उनका पाया जाना यह बताता है कि किसी क्षेत्र विशेष में तरह-तरह के पौधे व वनस्पतियां हैं।

इनसे छोटे व शाकाहारी जानवरों को भोजन मिलता है। इस तरह खाद्य श्रृंखला मजबूत होती है। ऊपरी पायदान पर रहने वाले बाघ को भी अच्छा आहार मिलता है। इसके अलावा तितलियां जलवायु की अच्छी स्थिति भी बताती हैं। यदि किसी क्षेत्र या जंगल में कई प्रकार की तितलियां हैं तो प्रमाणित होता है कि वहां का पारिस्थितिक तंत्र मजबूत है।

जलवायु में निरंतर बदलाव नहीं हो रहे हैं। ये स्थितियां अंतत: बाघ सहित हर वन्य जीव के लिए बेहतर रहवास का निर्माण करती हैं। गौरतलब है कि रातापानी अभयारण्य में 48 बाघ हैं। मध्य प्रदेश में 150 प्रजाति की तितलियां देश के अलग-अलग राज्यों में तितलियों की 1400 प्रजातियां होने का अनुमान है। इनमें से मध्य प्रदेश में करीब 150 प्रजातियों की पहचान हुई है। वन विहार नेशनल पार्क में 2015 व 2020 में हुए सर्वे में 36 प्रजातियां मिली थीं।

इनमें ब्लू टाइगर, फैंसी, मोरमोन, कामन ग्रास यलो, प्लेन टाइगर आदि शामिल हैं। नर्मदापुरम (होशंगाबाद) के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और हिल स्टेशन पचमढ़ी में 2017 में हुए सर्वे में 126 प्रजातियां मिली थीं। औबेदुल्लागंज सामान्य वन मंडल के डीएफओ विजय कुमार ने रातापानी में 55 से अधिक प्रजातियों की तितली मिलने की पुष्टि की है

सर्वे पूरा होने के बाद इन्हें संरक्षित करने के लिए देशभर के विशेषज्ञों से सलाह ली जाएगी। उसके आधार पर अभयारण्य में तितली संरक्षण की योजना बनाएंगे। जैसे तितलियां विशेष तरह की घास, पौधे, फलदार झाड़ियों में जीवन व्यतीत करती हैं, इसलिए अभयारण्य में घास के मैदान विकसित करेंगे। इस तरह हो रहा सर्वे सर्वे को ‘आई आब्जर्वेशन’ नाम दिया है।

इसमें आंखों के जरिये देखकर तितली की प्रजाति के बारे में पता लगाया जाएगा। फोटोग्राफ्स भी लिए जाएंगे। तितली की प्रजातियों का राष्ट्रीय डाटा बेस तैयार किया जाएगा। इस काम में तितली पर अध्ययन करने वाले 85 छात्र समेत 500 वनकर्मी भी मदद कर रहे हैं। 

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