वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को अपने खास सहयोगियों के साथ अफगानिस्तान की दशा पर विचार-विमर्श किया। बाइडन की सहयोगियों से वार्ता के बाद यह भी संकेत मिले हैं कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया फिलहाल कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दी है।
आने वाले दिनों में अमेरिका अफगानिस्तान में कुछ हजार सैनिक और भेज सकता है जो काबुल और अन्य शहरों को तालिबान के कब्जे में जाने से बचाने में अफगान सेना का सहयोग करेंगे।
इस दौरान तालिबान पर हवाई हमले भी बढ़ सकते हैं। अमेरिकी दूतावासकर्मियों और नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए आने वाले तीन हजार सैनिकों में शामिल मरीन कमांडो का पहला दस्ता शुक्रवार को काबुल पहुंच गया है।
बाकी अमेरिकी सैनिक रविवार तक पहुंच जाएंगे। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता जान किर्बी ने कहा है कि तालिबान के भविष्य के कदमों पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी सैनिक कब तक अफगानिस्तान में रहेंगे।
इससे पहले राष्ट्रपति बाइडन ने 31 अगस्त तक अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाकर 650 करने और उन्हें अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा के लिए तैनात रखने का निर्देश दिया था।

लेकिन तालिबान की आक्रामकता को देखते हुए गुरुवार को वहां तीन हजार नए सैनिक भेजने का निर्णय लिया गया, शुक्रवार से सैनिक पहुंचने भी शुरू हो गए। अफगानिस्तान के नजदीक के सभी सैन्य ठिकानों में तैनात अपने सैनिकों को अमेरिका ने अलर्ट कर दिया है। माना जा रहा है कि तालिबान की आक्रामकता अगर कम नहीं हुई तो अमेरिका उसके खिलाफ सीधी कार्रवाई तेज कर सकता है।
मेरिकी सैनिकों की संख्या करने का एलान अफगानिस्तान में 20 साल की मौजूदगी के बाद किया गया। इस दौरान अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो की सेनाओं ने तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से हटाया। लेकिन देश में तालिबान का कब्जा खत्म करा पाने में अमेरिका सफल नहीं हो पाया।