शिमला : हिमालयी क्षेत्र की चार घाटियों चिनाब, ब्यास, रावी व सतलुज में ग्लेशियर पिघलने से 1475 झीलें बनी हैं। इनमें से 68 झीलें 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली हैं। ग्लोबल वाìमग के कारण तापमान में वृद्धि होने से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इस कारण झीलें बन रही हैं।
झीलों में आ रहे परिवर्तन पर जलवायु परिर्वतन केंद्र के विज्ञानी सेटेलाइट से नजर रख रहे हैं। ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण झीलों का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है। चिनाब घाटी में 508 झीलें मिली हैं। चिनाब घाटी में गीपांगगथ ग्लेशियर के पिघलने से 98 हेक्टेयर में फैली झील बनी है।
यह झील हिमालयन क्षेत्र में सबसे बड़ी बताई जा रही है। सतलुज घाटी में सर्वाधिक 770 झीलें पाई गई हैं। इनमें से 51 झीलें 10 हेक्टयर में फैली हैं। बीते एक दशक के दौरान ग्लेशियर पिघलने के कारण 1200 से अधिक झीलें बनने का अनुमान है।
हिमाचल की नदियों में तीन से चार फीसद बढ़ा पानी हिमालयी क्षेत्र में बनी झीलों का विज्ञानी पांच वर्ष से अध्ययन कर रहे हैं। इस दौरान सामने आया है कि ग्लेशियर पिघलने से हिमाचल की नदियों में पानी की मात्रा में तीन से चार फीसद तक वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में इसमें और बढ़ोतरी की संभावना है।
हिमालयी क्षेत्र में बनी झीलें घाटी, 10 हेक्टेयर से अधिक, पांच से 10 हेक्टेयर के बीच, पांच हेक्टेयर तक, कुल झीलें सतलुज 51,57,663,771 चिनाब 08,20,480,508 ब्यास 06,08,116,130 रावी 03,02,61,66 कुल 68,87,1320,1475
पर्यटन गतिविधियों से बढ़ेगा तापमान इन झीलों पर पर्यटन गतिविधियां शुरू करने की संभावना से विज्ञानी इन्कार करते हैं। क्योंकि एक तो बर्फीले क्षेत्रों में होने के कारण इन झीलों तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। दूसरा इन क्षेत्रों में लोगों के जाने से तापमान बढ़ेगा और ग्लेशियर पिघलने में और तेजी आएगी