छात्रों, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और विद्यालयों के नेतृत्व में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आगे रखने के साथ-साथ लगातार सीखने की संस्कृति तैयार करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया गया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने हाल में एक ऑनलाइन शुभारंभ कार्यक्रम में कहा, ‘विज्ञान के साथ जुड़ने के लिए स्कूलों के लिए कुछ कार्यक्रम तैयार किए गए हैं और हम इसमें अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल करना चाहते हैं। इसके लिए तीन घटकों- छात्रों, शिक्षकों और स्कूल के नेतृत्व द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता होगी ताकि युवा दिमागों को पकड़ने और युवा प्रतिभाओं को पोषित करने में मदद मिल सके। वे देश और समाज के लिए परिसंपत्ति बनेंगे।’ इस कार्यक्रम के जरिये 8 राज्यों के 100 से अधिक स्कूलों के छात्रों, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों को साथ लाया गया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि विज्ञान को एक ऐसे तरीके से संप्रेषित किया जाना चाहिए जो प्रेरणादायक हो, मानसिकता में बदलाव लाए और बड़े पैमाने पर लोगों को आकर्षित करे। उन्होंने कहा कि डीएसटी की परियोजना “मानक” (एमएएनएके) से सीख ली जा सकती है जिसमें अब तक करीब 3 लाख स्कूलों तक पहुंचकर 10 लाख से अधिक विचारों का सृजन किया है। आईबीएम की साझेदारी के तहत विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ‘एंगेज मेंटर डायलॉग’ सत्र में परिचर्चा की गई कि किस प्रकार 2021 में स्कूली छात्रों के लिए “स्टेम” (एसटीईएम) को प्रेरणदायक बनाया जा सकता है
सीबीएसई के निदेशक (कौशल एवं प्रशिक्षण) डॉ. विश्वजीत साहा ने स्कूली छात्रों के बीच कम उम्र से ही वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार के कार्यक्रमों से स्कूल में सीखने का माहौल बनाने और जिज्ञासा को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।’
विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ. नकुल पाराशर ने कहा, ‘स्कूल मूल आधार हैं और वैज्ञानिक तरीके से सोचने के लिए प्रोत्साहित करने में छात्रों एवं शिक्षकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के कार्यक्रमों से युवा दिमागों को पोषण देने और वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने में काफी मदद मिलेगी।’
आईबीएम के एमडी (भारत एवं दक्षिण एशिया) संदीप पटेल ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान ने वास्तव में दुनिया को बदल दिया है और उसे एकीकृत किया है। “स्टेम” (एसटीईएम) केवल कौशल के लिए नहीं है बल्कि यह सही मायने में आत्मनिर्भर बनने के लिए मानसिकता में बदलाव लाने के लिए भी है। यह कार्यक्रम उस बदलाव को लाने में मदद के लिए स्कूल के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और छात्रों के बीच एक मजबूत गठबंधन तैयार करेगा।’
विज्ञान प्रसार के सलाहकार सौरभ सेन ने इस सत्र का संचालन किया। उन्होंने कहा, ‘एंगेज विद साइंस कार्यक्रम के तहत नियमित तौर पर संवादमूलक सत्रों का आयोजन किया जाएगा ताकि विज्ञान एवं स्कूलों के प्रति बच्चों को आकर्षित करने के तरीकों पर चर्चा की जा सके।’