बहादुरगढ़ (झज्जर) : बंगाल से आंदोलन में शामिल होने आई युवती से टीकरी बार्डर पर सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपित योगिता से एक दिन पहले हुई पूछताछ ने कई परतें खोली हैं। इसी क्रम में बुधवार को मामले की जांच कर रही पुलिस की एसआइटी ने पंजाब के दो किसान नेताओं राजेंद्र सिंह दीपवाला और महिला नेता जसबीर कौर से पूछताछ की। दोनों को 17 से 20 अप्रैल के बीच योगिता ने पीड़िता का दर्द बताया था, लेकिन दोनों ने कोई कदम नहीं उठाया। यह बात भी सामने आई है कि योगिता ने किसान सोशल आर्मी से अलग संगठन बनाकर संयुक्त मोर्चा में शामिल होने की इच्छा जताई थी। इसके लिए उसे मीटिंग में आने को कहा गया था, मगर वह नहीं आई। पंजाब के इन दोनों नेताओं ने कहा कि पीड़िता और योगिता के आगे न आने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई।
राजेंद्र सिंह दीपवाला तो पंजाब की कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष हैं और सरकार से कई बार वार्ता कर चुकी 40 सदस्यीय कमेटी के सदस्य भी हैं। महिला नेता जसबीर कौर पंजाब के मानसा से हैं और पंजाब किसान यूनियन की राज्य कार्यकारिणी की सदस्य हैं। वह पहले दिन से टीकरी बार्डर के धरनास्थल पर रहकर मंच संचालन और चंदा एकत्रित करने वालों में शामिल हैं। पुलिस की पूछताछ के बाद ये बोले नेता मुझे तारीख तो ठीक से याद नहीं, शायद 19 या 20 अप्रैल थी। योगिता मेरे पास आई थी। पहले मेरी बेटी के बारे में पूछा। फिर कहा कि एक लड़की जो बंगाल से आई है, उसके साथ सोशल आर्मी वाले लड़कों ने ट्रेन में छेड़छाड़ की है।

फिर मैंने पूछा था कि छेड़छाड़ हुई या दुष्कर्म। उसने खाली छेड़छाड़ की बात कही थी। मैंने कहा था कि पीड़िता को बोलो लिखकर दे, कार्रवाई करवाएंगे, मगर योगिता ने कहा कि पीड़िता इसके लिए तैयार नहीं है। मैंने उससे कहा था कि उसे मेरे पास ले आना मैं पूछूंगी। फिर योगिता ने कहा था कि वह अपना अलग संगठन बनाकर संयुक्त मोर्चा की सदस्य बन सकती है। इस पर उसको बताया था कि कल कल है, उसमें छेड़छाड़ और नया संगठन दोनों मामले रख देना, लेकिन वह नहीं आई।
जब पीड़िता को अस्पताल में दाखिल कराया, तब से लेकर उसकी मौत हो जाने तक मैं अस्पताल में थी। मैंने एक बार पीड़िता से पूछा था कि उसके साथ क्या हुआ, तब उसने बताया कि उसके साथ अनिल मलिक ने छेड़छाड़ की है। इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया। –जसबीर कौर, महिला किसान नेता, पंजाब मैं अप्रैल के पहले सप्ताह से लेकर 25 तारीख तक पंजाब में था। 25 अप्रैल की रात को ही टीकरी बॉर्डर पर आया था। मुझे 30 को पता लगा कि बंगाल की युवती गंभीर हालत में अस्पताल में है।
फिर कुछ देर बाद उसकी मौत होने की सूचना मिली। इसके बाद मैं अस्पताल पहुंचा। पीड़िता के पिता से मिलकर इस पर दुख जताया। उन्होंने बताया था कि उनकी बेटी के साथ एक-दो लोगों ने यहां पर छेड़छाड़ की है। मगर यह भी बताया था कि उनकी बेटी नहीं चाहती थी कि आंदोलन पर कोई दाग लगे।

उनकी इच्छा थी कि जो लोग आंदोलन में गलत हैं, उन्हें अलग किया जाए, आंदोलन से उनका तंबू उखाड़ दिया जाए। ऐसा ही कर दिया गया था और मंच से इसको लेकर एलान भी कर दिया गया था। युवती के पिता ने कहा था कि उनकी बेटी को पीली पगड़ी पहनने का शौक था। मैंने अपनी पीली पगड़ी पीड़िता के पिता को दी थी।
वे जब वापस जा रहे थे तो हवाई रास्ते से भेजने की बात कही थी, मगर वे ट्रेन में जाने के इच्छुक थे। मुझे योगिता 30 अप्रैल को अस्पताल में मिली थी। फिर बातचीत में यह मालूम हुआ कि 17 अप्रैल को योगिता का फोन मेरे पास आया था। मैं उस वक्त पंजाब में था। मैंने उसे अपने संगठन के नेताओं के पास धरनास्थल पर पिलर नंबर 775 में लगे तंबू में जाने के लिए कहा था, मगर वह नहीं गई। इसी वजह से पूरी बात पता नहीं चल पाई। – राजेंद्र सिंह दीपवाला, किसान नेता, पंजाब