डब्ल्यूएचओ के जांच दल में भारतीय वैज्ञानिक भी, भारत बोला- हम विस्तार से जांच के पक्ष में

जिनेवा : डब्ल्यूएचओ द्वारा गठित किए गए एक विशेषज्ञ समूह में प्रमुख भारतीय विज्ञानी डा.रमन गंगाखेडकर को भी नामित किया गया है।यह समूह कोरोना वायरस का कारण बनने वाले सार्स-सीओवी-2 सहित महामारी के उभरने वाले रोगजनकों की उत्पत्ति और महामारी की तीव्रता की जांच करेगा। गंगाखेडकर, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के पूर्व प्रमुख रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को डब्ल्यूएचओ साइंटिस्ट एडवाइजरी ग्रुप फार द ओरिजिन्स आफ नोवेल पैथोजेंस (एसएजीओ) के प्रस्तावित सदस्यों की घोषणा की। एसएजीओ सार्स-सीओवी-2 सहित महामारी और महामारी क्षमता के उभरने और फिर से उभरने वाले रोगजनकों की उत्पत्ति में अध्ययन को परिभाषित करने और मार्गदर्शन करने के लिए एक वैश्विक ढांचे के विकास में डब्ल्यूएचओ को सलाह देगा।

संगठन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ को सौंपे गए सभी आवेदनों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, कई देशों से आए 26 वैज्ञानिकों का चयन किया गया। उनके नाम एसएजीओ की सदस्यता के लिए प्रस्तावित किए गए।

समूह के सदस्यों को रोगजनकों के लिए प्रासंगिक विषयों की विस्तृत श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं में सेवा करनी होगी। डब्ल्यूएचओ के निदेशक डा.टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस ने कहा कि महामारी और महामारी फैलाने की क्षमता वाले नए वायरस का उभरना प्रकृति का एक तथ्य है। सार्स-सीओवी-2 इस तरह का नवीनतम वायरस है। यह अंतिम नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि भविष्य में महामारियों के प्रकोप से निपटने के लिए यह समझना जरूरी है कि नए रोगजनक कहां से आते हैं। इसके लिए विशेषज्ञता की एक विस्तृत श्रृंखला की आवश्यकता है। एसएजीओ के लिए दुनिया भर से चुने गए विशेषज्ञों की क्षमता से वे बहुत खुश हैं। 

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