नई दिल्ली : अप्रत्याशित रूप से लंबा खिंच रहा मानसून अक्टूबर के पहले सप्ताह तक जारी रह सकता है। फिलहाल तीन अक्टूबर तक पूर्वानुमान दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी मानसून के जारी रहने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
दूसरी तरफ अत्यधिक बारिश को सर्दियों के जल्द आगमन का संकेत भी नहीं माना जा सकता। मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि सर्दियों का अनुमान लगाना मुश्किल है।
बातचीत में महापात्रा ने बताया कि बारिश के लिए कम दबाव का क्षेत्र (लो प्रेशर एरिया) बनना जरूरी है। यह बंगाल की खाड़ी से बनता है और देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है। मानसून के लंबा खिंचने की वजह भी बार-बार लो प्रेशर सिस्टम बनना है।
अब भी बंगाल की खाड़ी से अंतरदेशीय स्तर पर एक के बाद दो लो-प्रेशर सिस्टम बन रहे हैं। ये दोनों सिस्टम मध्य, पूर्व और उत्तर-पश्चिमी भारत के आसपास के हिस्सों में झमाझम बारिश देंगे, जिससे मानसून की वापसी में देरी होगी। मानसून की बारिश के बदलते ट्रेंड पर महापात्रा कहते हैं कि यह मानसून की परिवर्तनशीलता का हिस्सा है। हालांकि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन भी बहुत बड़ा कारण है। बारिश के दिन कम हो गए हैं।
हल्की बारिश भी अब ज्यादा नही होती, होती है तो रिकार्डतोड़। अगला और पिछला सारा कोटा पूरा कर देती है। इसके पीछे स्थानीय कारण मसलन हरित क्षेत्र और वायु प्रदूषण का भी प्रभाव रहता है। एक और कारण है हीट आइलैंड। खुले क्षेत्र में बारिश कम जबकि दिल्ली जैसे कंक्रीट के जंगल में कुल मात्रा में ज्यादा होने लगी है।
दरअसल, जहां बिलिं्डग ज्यादा होती है वहां वेंटीलेशन कम होता है। ऐसे में हवा ऊपर की तरफ जाती है, वाष्पीकरण भी होता है। इसी से बादल बनते हैं और बारिश होने की अनुकूल परिस्थितियां भी उत्पन्न होती हैं। मानसून के बदलते पैटर्न से फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर महापात्रा ने कहा कि फसल चक्र भी अब उसी हिसाब से तय होने लगा है।
बोआई-कटाई का शेड्यूल भी बदल रहा है। जहां तक हल्की और भारी बारिश के फसलों पर असर का सवाल है तो किसान वही और उसी हिसाब से फसलें उगाने लगे हैं जो मौसम के हिसाब से अच्छा उत्पादन दे सकें। अच्छी बारिश को सर्दियों की जल्द दस्तक से जोड़ने पर उनका कहना था कि अभी इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल होगा।
फिलहाल तो पूरी तरह से मानसून ही खत्म नहीं हुआ है। हवाओं की दिशा बदलने में भी समय है। लिहाजा, सर्दियों के आगमन पर बाद में ही कुछ कहा जा सकेगा। अलबत्ता, अक्टूबर के उत्तरार्द्ध में तापमान गिरने लगेगा। नवंबर में सर्दी का अहसास होने लगेगा। कंपकंपाती सर्दी दिसंबर, जनवरी औैर फरवरी में पड़ेगी।