देश में जनसंख्या असंतुलन चिंता का विषय, संघ प्रमुख भागवत ने जनसंख्या नीति को लेकर दिया जोर, नागपुर में मना स्थापना दिवस

नागपुर : विजयादशमी पर अारएसएस का स्थापना दिवस मनाया गया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में इस दौरान अपने संबोधन में कहाकि हिंदुओं को संगठित होने की जरूरत है। उन्होंने आतंकवाद, पाकिस्तान और चीन पर भी निशाना साधा। साथ ही जम्मू-कश्मीर में फिर से टारगेट किलिंग शुरू होने पर चिंता जताई और जनसंख्या नीति पर नसीहत दी।

संघ प्रमुख ने कहा कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 प्रतिशत रह गया है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 प्रतिशत से बढ़कर 14.24 प्रतिशत हो गया है।

जनसंख्या के असंतुलन पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति होनी चाहिए। हमें लगता है कि इस बारे में एक बार फिर विचार करना चाहिए। अभी भारत युवाओं का देश है।

30 साल के बाद ये सब बूढ़े बनेंगे, तब इन्हें खिलाने के लिए भी हाथ लगेंगे और उसके लिए काम करने वाले कितने लगेंगे, इन दोनों बातों पर विचार करना होगा। अगर हम इतना बढ़ेंगे तो पर्यावरण कितना झेल पाएगा। 50 साल आगे तक विचार करके रणनीति बनानी चाहिए।

जैसे जनसंख्या एक समस्या बन सकती है, वैसे ही जनसंख्या का असंतुलन भी समस्या बनेगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहाकि तालिबान फिर से खड़ा हो गया। उसे लेकर कभी कहा जाता है कि वह बदल गया है, कभी कहता है कि पहले जैसा है। उसका समर्थन करने वालों में रूस भी था, चीन और पाकिस्तान तो आज भी हैं।

तालिबान बदला भी होगा, पाकिस्तान बदला है क्या, ऐसा तो बिल्कुल नहीं है। चीन का इरादा भारत के प्रति बदला है क्या, ऐसा तो बिल्कुल नहीं है। प्रेम, अहिंसा से सब ठीक होता है, इसे मानना चाहिए, लेकिन अपनी तैयारी भी पूर्ण रखें। सीमा सुरक्षा और चाक चौबंद करना होंगी।

उन्होंने कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर होकर आया। वहां 370 हटने के सामान्य जनता को अच्छे लाभ मिल रहे हैं। भारत से किसी भी भारतीय का रिश्ता लेन-देन का नहीं है। हम भारत माता के पुत्र हैं। हम भारत के अंदर हैं, लेकिन घाटी में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग की जा रही है।

आतंकियों की गतिविधियों का बंदोबस्त भी करना पड़ेगा, चुन-चुन कर जैसे पहले करते थे। मनोबल गिराने के लिए वे लक्षित हिंसा कर रहे हैं। उनका उद्देश्य एक ही है कि अपना डर पैदा करना। शासन को भी बड़ी चुस्ती से इसका बंदोबस्त करना पड़ेगा।

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