पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ममता बनर्जी को छोड़ने वालो की फेहरिस्त बड़ी लंबी है… इस कड़ी में एक और नाम जुड़ता नज़र आ रहा है… टीएमसी के नेता और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफा देने का एलान कर दिया… उन्होने अपने इस्तीफ की वजह टीएमसी के अंदर चल रहे घमासान को बताया और ममता बनर्जी के नेत्तृव पर भी सवाल खडे किये है।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सियासत का एक और विकेट डाउन । राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी नेताओं के पार्टी से बगावत का सिलसिला जारी है और शुक्रवार को राज्यसभा में जो कुछ हुआ वो उसी क़ड़ी का हिस्सा माना जा रहा है । तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। सदन की चलती कार्यवाही के बीच उन्होंने बंगाल में हिंसा का मुद्दा उठाया और उसके बाद इस्तीफे का ऐलान कर दिया। दिनेश त्रिवेदी ने इस्तीफे का जो कारण दिया वो ये बताने के लिए काफी था कि टीएमसी के भीतर क्या चल रहा है । हालांकि टीएमसी छोड़ने के बारे में दिनेश त्रिवेदी ने कुछ नहीं कहा लेकिन ये जरुर कहा कि वह बंगाल के लिए हमेशा काम करते रहेंगे। दिनेश त्रिवेदी ने ममता बैनर्जी पर जोरदार हमला बोला और कहा कि अब उनका पार्टी पर नियंत्रण नहीं रहा ।
इस बीच उपसभापति ने हरिवंश नारायण सिंह ने त्रिवेदी को सलाह दी कि इस्तीफा देने की भी एक प्रक्रिया होती है और उन्हें सभापति के समक्ष अपना त्यागपत्र देना चाहिए। दिनेश त्रिवेदी ने अपने अगले कदम का एलान नहीं किया लेकिन पीएम मोदी के कामों की सराहना जरुर की ।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले यह ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। खुद पार्टी के नेता भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं वहीं बीजेपी का कहना है कि ईमानदारी से काम करने वालों का पार्टी में स्वागत है ।
गौरतलब है कि दिनेश त्रिवेदी यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं। ममता बनर्जी ने जब तृणमूल कांग्रेस का गठन किया तब से त्रिवेदी उनके साथ हैं । 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद ममता बैनर्जी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था । दिनेश त्रिवेदी का कार्यकाल अभी पांच साल और बचा था । दिनेश त्रिवेदी पार्टी के पहले बडे नेता नहीं है जिन्होंने ममता का साथ छोडा है । इससे पहले , ममता सरकार में कैबिनेट मंत्री शुवेंदु अधिकारी भी ममता का साथ छोड़ चुके हैं। तमाम विधायक भी ममता का साथ छोडकर बीजेपी में जा चुके हैं । जाहिर से चुनाव से पहले पार्टी में मची भगदड ममता के लिए शुभ संकेत नहीं है और ये आमे वाले चुनाव में नया मोड़ ला सकता है।