प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोच्चि-मंगलूरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. यह कार्यक्रम ‘एक राष्ट्र, एक गैस ग्रिड’ के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा.
450 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन का निर्माण गेल (इंडिया) लिमिटेड ने किया है. इसकी परिवहन क्षमता 12 मिलियन मीट्रिक मानक क्यूबिक मीटर प्रति दिन है. यह केरल के कोच्चि स्थित एलएनजी के पुनर्गैसीकरण टर्मिनल से गैस ले जाएगी. एर्नाकुलम, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझीकोड, कन्नूर और कासरगोड होते हुए मंगलूरु तक प्राकृतिक गैस ले जाएगी. परियोजना की कुल लागत लगभग 3,000 करोड़ रुपये थी.
इसके निर्माण के दौरान 12 लाख से अधिक मानव-दिवस के बराबर के रोजगार सृजित हुए. इंजीनियरिंग की दृष्टि से इस पाइपलाइन को बिछाना एक चुनौती थी. इस पाइपलाइन का अपने मार्ग में 100 से अधिक स्थानों पर जल निकायों को पार करना जरूरी था. इस चुनौतीपूर्ण कार्य को क्षैतिज दिशात्मक ड्रिलिंग विधि नाम की एक विशेष तकनीक के जरिए पूरा किया गया.

इस पाइपलाइन से आम लोगों के घरों में पीएनजी पहुंचेगी. परिवहन क्षेत्र को सीएनजी के रूप में पर्यावरण के अनुकूल और सस्ती ईंधन की आपूर्ति होगी. पाइपलाइन अपने मार्ग में पड़ने वाले जिलों की वाणिज्यिक और औद्योगिक इकाइयों को भी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगी. स्वच्छ ईंधन के उपभोग के जरिए वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाते हुए वायु की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी.