रायपुर : छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का खतरा बढ़ रहा है। रायपुर के चार अस्पतालों में 30 से अधिक मरीज मिले हैं। वहीं, रामकृष्ण अस्पताल में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की वजह से रायपुर निवासी 40 वर्षीया एक महिला के आंख की रोशनी चली गई। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि करीब डेढ़ महीने पहले संक्रमित महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया था। बाद में ब्लैक फंगस की पहचान की गई। इस बीच महिला की एक आंख की रोशनी चली गई है। उधर, राज्य में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने अलर्ट जारी किया है।
औषधि विभाग द्वारा जिला स्तर पर बीमारी में कारगर दवा पोसाकोनाजोल, एम्प्रोटेरेसिन-बी को आवश्यक दवाओं की श्रेणी में रखा गया है। इन दवाओं का पहले ज्यादा उपयोग नहीं होने की वजह से थोक दवा बाजार में यह न के बराबर उपलब्ध है। रायपुर दवा विक्रेता संघ के मुताबिक थोक दवा बाजार में पोसाकोनाजोल का स्टाक शून्य और एम्प्रोटेरेसिन-बी इंजेक्शन के 100 वायल उपलब्ध थे। जिला दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने बताया कि पोसाकोनाजोल, एम्प्रोटेरेसिन-बी की मांग काफी कम होती थी, इसलिए बाजार में न के बराबर उपलब्ध है।

ब्लैक फंगस पुरानी बीमारी, लेकिन समस्या अब अधिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि ब्लैक फंगस काफी पुरानी समस्या है, लेकिन इसके बहुत ही कम मरीज देखने को मिलते थे। रायपुर एम्स में साल में लगभग चार से पांच केस, वहीं आंबेडकर अस्पताल में भी साल में करीब पांच मरीज ही आते थे। कई प्राइवेट अस्पतालों में तो इस बीमारी के मरीज न के बराबर पहुंचते थे। –