पटियाला : पराली जलाने के मामले बढ़ने से एक सप्ताह मेें प्रदूषण का स्तर दोगुने से भी ज्यादा हो गया है। वायु गुणवता सूचकांक (एक्यूआई) बल्लभगढ़ में सबसे ज्यादा 330 और बहालगढ़ में 319 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। यह हवा का ‘बहुत खराब’ स्तर है।
गुड़गांव, फरीदाबाद व यमुनानगर में यह ‘खराब’ स्तर पर रहा। केवल नारनौल में ‘संतोषजनक’ स्तर पर रहा। 27 सितंबर से पराली जलाने का पहला मामला सामने आया था। 9 अक्टूबर तक 101 मामले आ चुके हैं। 77 मामले पिछले 3 दिन में मिले हैं।

मंगलवार को लुधियाना का एक्यूआइ भी माडरेट से खराब श्रेणी में पहुंच गया है, जबकि शेष शहरों का एक्यूआइ सामान्य श्रेणी में है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार ताजा हालात में ज्यादा चिंता की बात नहीं है, लेकिन अगर पराली जलाने की रफ्तार बढ़ी तो आने वाले दिनों में स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
अमृतसर में सबसे ज्यादा जली पराली : आंकड़ों के अनुसार, अब तक पराली जलाने की 925 में से 355 घटनाएं केवल अमृतसर में हुई हैं। वहीं, तरनतारन में 199, पटियाला में 79 और लुधियाना में 69 जगह पराली जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं।
प्रमुख शहरों का एक्यूआइ : शहर 12 अक्टूबर अमृतसर 97 जालंधर 130 लुधियाना 205 मंडी गोबिंदगढ 64 पटियाला 111 रिमोर्ट सेंसिंग सेंटर से रखी जा रही नजर : पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मैंबर सेक्रेटरी करुणेश गर्ग ने बताया कि पराली जलाने वालों पर लुधियाना स्थित रिमोट सेंसिंग सेंटर से नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक कर रहा है। गांवों में किसानों को जागरूकता वैन भेजकर पराली जलाने से होने वाले नुकसान और इसके सही निस्तारण के लिए तरीके बताए जा रहे हैं।
