अयोध्या : रामनगरी के इतिहास का यह नया अध्याय है। जन-जन के आराध्य श्रीराम की जन्मस्थली पर पहली बार आजाद भारत के किसी राष्ट्रपति ने रामलला के दरबार में हाजिरी लगाई तो मानो नई परंपरा का सूत्रपात हुआ।
जय श्री राम के उद्घोष के साथ अयोध्यावासियों ने इस पल को मन-मानस में सहेज लिया। प्रेसिडेंशियल ट्रेन से रविवार साढ़े ग्यारह बजे अयोध्या पहुंचे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द भी राम लला की धरती पर पहुंचकर विह्वल थे।
राम कथा पार्क में रामायण कान्क्लेव का उद्घाटन करते हुए उन्होंने अपने मनोभावों को रामकथा पर ही आधारित ग्रंथ प्रतिमा नाटकम की इस निष्पत्ति से शब्द दिए-‘ श्रीराम के बिना अयोध्या है ही नहीं औैर अयोध्या वहीं है, जहां श्रीराम हैं।’ इससे पहले उन्होंने मानस की चौपाई ‘रामकथा सुंदर करतारी/ संशय विहग उड़ावन हारी’ से रामकथा का वैशिष्ट्य परिभाषित किया तो रवींद्र नाथ टैगोर को भी कोट किया- ‘रामायण और महाभारत दो ऐसे ग्रंथ हैं, जिनमें भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं।’
रामायण में आदर्श आचार संहिता भी समाहित : राष्ट्रपति ने कहा कि आज रामकथा विश्व के अनेक देशों में प्रचलित है और युवा पीढ़ी को इसमें निहित जीवन मूल्यों से जोड़ा जाना चाहिए। रामायण विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन और आदर्शों को प्रस्तुत करती है। राष्ट्रपति ने कहा कि रामायण से यह भान होता है कि पिता-पुत्र, भाई-भाई, गुरु-शिष्य, शासक का जनता से तथा मानव का प्रकृति-पशु-पक्षी के साथ कैसा संबंध हो।
दुष्ट रावण पर विजय के लिए अयोध्या की सेना बुलाने की जगह कोल-भील, वानर-भालू आदि को संगठित करके सेना बनाने का हवाला देकर राष्ट्रपति ने श्रीराम के सामाजिक समरसता के संदेश को भी उभारा। साथ ही जटायु का जिक्र कर पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम का संदेश दिया। रुद्राक्ष का पौधा रोपा : राष्ट्रपति का काफिला करीब ढाई बजे बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी पहुंचा।
यहां दर्शन-पूजन के बाद वह रामलला के दरबार पहुंचे। इसके साथ वह इतिहास में रामलला का पूजन करने वाले राष्ट्रपति के रूप में दर्ज हो गए। उनसे पहले ज्ञानी जैल सिंह ने 1983 में अयोध्या का दौरा किया था, लेकिन वह रामलला के दर्शन को नहीं पहुंचे थे। राम नाथ कोविन्द ने राम जन्मभूमि परिसर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण भी किया।
श्रीराम जन-जन के हैं : योगी अजेय अयोध्या के यश और महात्म्य की चर्चा करने के साथ राष्ट्रपति ने रामायण कान्क्लेव के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रामनगरी का वैशिष्ट्य रेखांकित किया। राज्यपाल ने कहा, राम मंदिर वस्तुत: राष्ट्र मंदिर है, जो युगों-युगों तक मानवता को प्रेरित करता रहेगा। इससे पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा-‘श्रीराम जन-जन के हैं और राष्ट्रपति के नाम में भी जो राम शब्द लगा है, वह भी इसी सत्य का परिचायक है।’
ट्र्स्ट पदाधिकारियों ने किया स्वागत रामजन्मभूमि में पूजन के दौरान रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, ट्रस्ट के सदस्य एवं अयोध्या राज परिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र, डा. अनिल मिश्र आदि राष्ट्रपति के स्वागत के लिए मौजूद रहे, तो वहीं हनुमानगढ़ी में पुजारी रमेशदास एवं गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने राष्ट्रपति का स्वागत किया।