भोपाल : आयुर्वेद हमारे देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है वर्तमान समय में इसे और लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें मानव शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। आयुर्वेद में उपयोग होने वाली दवाएँ हमारे आस-पास ही मौजूद होती हैं। आयुर्वेद और योग को अपना कर हम अपने जीवन को स्वस्थ एवं सुखी बना सकते हैं।
आम जनता को चाहिए कि वह आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति दैनिक जीवन में उपयोग करे और उसे अपनाएँ। आयुष राज्य मंत्री राम किशोर नानू कावरे बालाघाट के जिला आयुष कार्यालय में भगवान धनवंतरी के प्रागट्य दिवस पर एक दिवसीय नि:शुल्क स्वास्थ्य परामर्श आयुष मेगा शिविर एवं आयुष संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

पूर्व विधायक रमेश भटेरे, नगर पालिका बालाघाट की अध्यक्ष भारती सुरजीत सिंह ठाकुर, जनपद पंचायत परसवाड़ा के अध्यक्ष समल सिंह धुर्वे, कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, पर्यावरणविद मौसम हरिनखेड़े, जिला आयुष अधिकारी डॉ. मिलिंद चौधरी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राज्य मंत्री कावरे ने कहा कि बालाघाट जिला वन संपदा से परिपूर्ण है और यहाँ प्रचुर संख्या में औषधि पौधे उपलब्ध हैं। जिले में औषधि संग्रहण के कार्य से यहाँ के युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा परसवाड़ा में आयुर्वेद रिसर्च सेंटर खोलने के लिए 4 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। इससे जिले में आयुर्वेद के विकास को गति मिलेगी।
राज्य मंत्री श्री कावरे ने कहा कि आयुर्वेद हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने घर में कम से कम पाँच औषधि पौधे अवश्य लगाना चाहिए। दैनिक खान-पान में उपयोग किए जाने वाली तुलसी, अदरक, हल्दी, जीरा, लहसुन, एलोवेरा, अजवाइन आदि आयुर्वेद औषधि के रूप हैं।

“सप्तम आयुर्वेद दिवस” में “हर दिन हर घर आयुर्वेद” विषय पर विभिन्न कार्यक्रम हुए। इसमें आयुष इकाइयों में आयुर्वेद के महत्व तथा घरेलू उपचार, दिनचर्या-ऋतुचर्या, गिलोय, सहजन एवं औषधीय पौधों के उपयोग पर आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा सार्वजनिक व्याख्यान,
सामान्य रोगों के लिये प्रत्येक घर में उपलब्ध घरेलू उपचार तथा स्थानीय औषधीय पौधों के उपयोग का आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा प्रदर्शन किया गया। एक दिवसीय नि:शुल्क आयुर्वेद, होम्योपैथी चिकित्सा परामर्श शिविर का आयोजन भी किया गया। शिविर में सभी प्रकार के रोग का जैसे जोड़ों का दर्द, सिरदर्द, आमवात, सन्धिवात, गठिया, सायटिका, स्त्रीरोग, बाल रोग, खाँसी, दमा, बवासीर, आदि का इलाज किया गया।