कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार की याचिका की खारिज, चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए NHRC को ठहराया सही

कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाते हुए कहा है कि चुनाव बाद हिंसा के मामलों में बंगाल सरकार ने विश्वास जगाने लायक व्यवहार नहीं किया।इसी टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने सोमवार को ममता सरकार की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें हिंसा की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से कराने के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया था।पीठ ने 18 जून के अपने आदेश को वापस लेने से साफ इन्कार कर दिया।

भाजपा सांसद ने कहा-निष्पक्ष जांच रोकने की कोशिश नाकाम: अदालती कार्रवाई के बाद भाजपा सांसद लाकेट चटर्जी ने कहा कि हिंसा की निष्पक्ष जांच रोकने की ममता सरकार की कोशिश पर पानी फिर गया है। बता दें, हिंसा को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर संज्ञान लेते हए हाई कोर्ट ने एनएचआरसी से समिति गठित कर कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने के लिए कहा था।

बिना शपथपत्र तथ्य रखने की बात से भी अदालत नाराज: बंगाल सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पीठ ने कहा कि हिंसा के मामले में तत्काल प्रतिक्रिया की जरूरत थी, लेकिन राज्य ने जैसा व्यवहार किया, उससे भरोसा नहीं जागा। पीठ ने आदेश दिया कि बंगाल सरकार शिकायतों से संबंधित जो भी जानकारी अब सामने रखना चाहती है, वह एनएचआरसी को दे।

ममता सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने कहा था कि सरकार को पीठ के सामने तथ्य रखने का मौका नहीं दिया गया। इस पर पीठ ने कहा कि बिना किसी शपथपत्र के अदालत में हिंसा की शिकायतों पर कार्रवाई के तथ्य रखने की बात कही गई। विद्वान एडवोकेट जनरल ने कहा कि वह इन तथ्यों की विश्वसनीयता का भरोसा दिला सकते हैं।

पुलिस के कार्रवाई न करने पर पारित हुआ था पिछला आदेश: इस मामले में जनहित याचिकाओं की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि हिंसा के मामलों में शिकायतों की संख्या और उन पर पुलिस के कार्रवाई न करने के कारण अदालत ने आदेश पारित किया था। पीठ ने बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव की रिपोर्ट का संज्ञान लिया था।

रिपोर्ट में जिक्र था कि 10 जून तक 3,243 लोगों ने हिंसा से पीड़ित होने की शिकायत की थी जिन्हें पुलिस अधीक्षकों और थानों को भेजा गया था, लेकिन इन पर कोई एक्शन नहीं दिखा। सख्त टिप्पणी हटाने का किया था अनुरोध: पुनर्विचार याचिका में अनुरोध किया गया था कि पिछले आदेश में बंगाल सरकार और उसके अधिकारियों के खिलाफ की गई टिप्पणी को हटा दिया जाए।

एनएचआरसी ने बनाई जांच समिति नई दिल्ली, प्रेट्र: एनएचआरसी ने हिंसा की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। समिति तत्काल प्रभाव से जांच शुरू कर देगी और इसके अध्यक्ष एनएचआरसी के सदस्य राजीव जैन होंगे।

समिति मौके पर जाकर जांच करेगी और वर्तमान स्थिति व लोगों में आत्मविश्वास का संचार करने के उपायों पर रिपोर्ट पेश करेगी। समिति बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को मिली व मिलने वाली शिकायतों की भी जांच करेगी।

समिति के सदस्यों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन एल देसाई, एनएचआरसी के महानिदेशक (जांच) संतोष मेहरा, बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा, बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजू मुखर्जी और एनएचआरसी की उप महानिरीक्षक (जांच) मंजिल सैनी शामिल हैं। 

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