किसान खेतों में बेखौफ जला रहे नरवाई,संबंधितसें की अनदेखी से हरियाली ने ओढ़ ली कालिख की चादर
दतिया.यह तस्वीर सेवढ़ा दतिया स्टेट हाईवे पर स्थित खेत की है। यह खेत नरवाई जलने के कारण अपने मूल स्वरूप हरियाली को खो चुका है। पूरा खेत जली हुई नरवाई के कारण कालिख की चादर ओढ़े हुए हैं। यह स्थिति स्टेट हाईवे 19 के दोनों ओर स्थित लगभग हर खेत की है। यह खेत प्रशासन के आदेश को ठेंगा दिखाकर नरवाई जलाए जाने का प्रमाण है। किसानों द्वारा प्रतिदिन यह नरवाई जलाई जा रही है, जिससे ना सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है बल्कि पर्यावरण प्रदूषण भी जमकर हो रहा है। बीते दिनों इस प्रदूषण की धुंध के कारण सड़क दुर्घटनाएं भी हुई । बावजूद इसके न तो कृषकों ने नरवाई का जलाना बंद किया और ना ही प्रशासन ने कोई कार्रवाई की।

बता दें धान का सबसे अधिक रकवा सेवढ़ा अनुभाग में था और अब यह धान कट चुकी है । धान के खेतों में गेहूं बोने की तैयारी में लगे किसानों ने हारबेस्टर से हुई कटाई के बाद बचे नरवाई को जलाना प्रारंभ कर दिया है। हालत यह है कि धान के क्षेत्र से लोगों का निकलना दूभर हो गया है।

धुएं से लोगों की खराब हो रही सेहत

धान की नरवाई जलने से गहरा धुंआ निकलता है जो लोगों की सेहत खराब कर रहा है। यह किसी को भी निकलने में भी दिक्कतें पैदा करता है। चूंकि कई खेत सेवढ़ा दतिया स्टेट हाईवे पर हैं तो यह धुंआ वाहन चालकों के लिए भी काल बन गया है। आम आदमी जहरीले धुंए से परेशान है। लोगों की आंखों में जलन और खांसी हो रही है। यह सब तब हो रहा है जब जिला प्रशासन द्वारा जिले में धान की फसल की कटाई के उपरांत उसके अवशेषों के जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। आदेश के अनुसार नरवाई जलाने वाले व्यक्ति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार उसे पर्यावरण मुआवजा भरना होगा। इसके बाद भी संबंधितों की अनदेखी से खेतों में नरवाई जलाने का क्रम जारी है।दुर्घटनाओं का कारण बन रहा सड़कों पर फैल रहा धुआं

धान की फसल कटते ही अंचल में नरवाई जलने की घटनाएं सामने आने लगी है। नरवाई जलाने के दौरान आसमान में धुएं के गुबार छाए रहते हैं।मुख्य मार्गों पर धुआं फैलने से अामने सामने से आने वाले वाहन धुंध के कारण हादसों का शिकार हो रहे हैं। अभी हाल ही में सेंथरी के पास ऑटो टकरा जाने से करीब एक दर्जन लोग दुर्घटना का शिकार हो गए थे। इससे पूर्व भी नरवाई जलने के दौरान कई बार खेत में रखे भूसे के साथ साथ आसपास खेत की खड़ी फसल भी नष्ट हो चुकी हैं। पिछले वर्ष नरवाई जलने की घटनाओं में 1000 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई थी। इसके अलावा एक महिला की मौत भी हो गई थी। घटनाओं पर नियंत्रण लगे, इसके लिए किसानों के लिए हर वर्ष कड़ी एडवाइजरी जारी की जाती है। 30 अक्टूबर को ही धारा 144 लगाकर इस कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए हैं। भगुवापुरा में कई ऐसे खेतों में नरवाई जलाई गई। जिनके आसपास की फसल अभी कटी नहीं है। ऐसे में पड़ौस में पहुंची आग से बड़ा नुकसान हो सकता है। नरवाई जलाने वाले किसान अगली फसल के लिए जमीन तैयार करने के चक्कर में यह कर रहे है।

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