सितंबर महीने में मोदी सरकार की तरफ से लाए गए कृषि कानूनों पर जहां एक तरफ प्रदर्शनकारी किसान सरकार से अपनी मांगोंें मनवाने के लिए जिद पर अड़े हैं तो वहीं उनकी मान-मनौव्वल के भी काफी प्रयास भी किए जा रहे हैं ताकि वे प्रदर्शन के रास्ते को छोड़कर बातचीत के लिए आया। वहीं, इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की तरफ से केंद्र सरकार पर हमला बोलकर राजनीतिक रोटियां भी खूब सेंकने का प्रयास किया जा रहा है।
इस बीच, नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली आकर प्रदर्शन कर रहे किसानों से शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आंदोलन का रास्ता छोड़ने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ मुद्दों पर हमेशा चर्चा के लिए तैयार है।
सरकार किसानों के साथ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार रही है। हमने 3 दिसंबर को वार्ता के एक और दौर के लिए किसान संगठनों को आमंत्रित किया है। मैं उनसे अपील करता हूं कि COVID-19 और सर्दियों के मद्देनजर आंदोलन छोड़ें: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर pic.twitter.com/GPfjOBPpIR
– एएनआई (@ANI) 27 नवंबर, 2020
इससे पहले, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों से इसी तरह की अपील की थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली पहुंचे किसानों से कहा कि वे आंदोलन का रास्ता छोड़ दें। नए कृषि संबंधी कानूनों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से सीएम खट्टर ने केंद्र सरकार को हमेशा बातचीत के लिए तैयार किया है। खट्टर ने अपील करते हुए कहा, मेरे सभी किसान पुलिस से अपील है कि वे अपनी सभी जायज मुद्दों के लिए सटीक केंद्र से बातचीत करें। इसकी जरिया नहीं है। इसका हल बातचीत से ही निकलेगा।
इधर, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी सरकार सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाले किसानों को रोक नहीं सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले कानून को वापस लेना होगा।
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, “पीएम को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजय होता है। सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई भी सरकार रोक नहीं सकती। मोदी सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे। ये तो बस शुरुआत है! ”