कृषि उपज मंडी में कोई बंदिश नहीं, 1 लाख क्विंटल खरीदा गया धान,

धान खरीदी केंद्र पर अन्य प्रदेश के किसान को मनाही, मंडी में छूट

दतिया. जिले में सहकारी समिति द्वारा धान खरीदी के 28 केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों पर जिला प्रशासन ने सख्ती से अन्य प्रदेशों का धान खरीदने के लिए मनाही है। स्थानीय किसानों से कागजी जांच पड़ताल की जा रही है। जबकि स्थानीय कृषि उपज मंडी में कहीं का भी धान, कोई भी किसान यहां आकर बेच सकता है। अभी तक एक लाख क्विंटल से अधिक की धान खरीदी कृषि उपज मंडी में व्यापारी कर चुके हैं। नियमों की यह विसंगति कुछ समझ में नहीं आ रही है। जबकि 1860 रुपये प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य कृषि उपज मंडी में भी दिया जा रहा है, परंतु यह धान की क्वालिटी पर निर्भर करता है।

जानकारी के अनुसार जिले में स्थित 28 धान खरीदी केंद्र पर पिछले सोमवार से जिला प्रशासन ने सख्ती करते हुए अन्य प्रदेशों के किसानों का धान नहीं बिकने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने जगह-जगह नाकेबंदी भी की है। साथ ही जो किसान धान की उपज बेचने खरीदी केंद्र पर आ रहा है, उसकी जमीन के कागजात, धान बोने का रकबा और धान का कुल उत्पादन आदि का विवरण भी दिया जा रहा है। राजस्व के अधिकारी धान खरीदी केंद्र के लिए किसानों को प्रमाणीकरण दे रहे हैं। विपणन संघ द्वारा अभी तक 7 मैट्रिक टन से अधिक धान खरीदा जा चुका है। लगभग 16 मेट्रिक टन धान खरीदी और की जाना है।

कृषि उपज मंडी के सचिव आरके गोस्वामी ने जानकारी में बताया कि हमारे यहां पर ऐसा कोई भी नियम नहीं है। सभी जगहों के किसान मंडी में धान बेच सकते हैं। कृषि उपज मंडी में लगभग 300 व्यापारी विभिन्न जिंसों के लिए लाइसेंस धारक हैं। वही धान की उपज को खरीद रहे हैं। धान के निचले भाग में 1850 से लगाकर लगभग अच्छी क्वालिटी का धान 2256 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक गया है। यहां पर किसानों को भुगतान भी नियमानुसार किया जा रहा है। प्रतिदिन 440 से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली धान की फसल कृषि उपज मंडी में आ रही है और लगभग डेढ़ हजार से अधिक किसान प्रतिदिन मंडी में अपनी फसल लेकर बेचने आ रहे हैं।कृषि उपज मंडी में नहीं कोई बंदिश

कृषि उपज मंडी में किसी भी प्रदेश का किसान खासकर सीमावर्ती उत्तर प्रदेश का किसान भी अपनी उपज लाकर यहां बेच रहा है। उन्होंने बताया कि यहां कटौती भी नहीं काटी जा रही है। जबकि डबरा सहित अन्य क्षेत्रों में तीन प्रतिशत घटौती काटी जाती है। सबसे निचली क्वालिटी के धान की कीमत भी 1550 रुपये हैं। कृषि उपज मंडी के सचिव आरके गोस्वामी ने बताया कि धान की जो सबसे निचली क्वालिटी है 1509 नंबर के नाम से जानी जाती है। उस फसल का भी भाव किसानों को 1550 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा है। यह धान अधिकांश पोहा बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

यह है विसंगति का कारण

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धान खरीदी केंद्रों पर जो धान खरीदा जा रहा है वह विपणन संघ, सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद रहा है। जहां पर समर्थन मूल्य 1860 रुपये प्रति क्विंटल धान की कीमत देना अनिवार्य है। कृषि मंडी में इससे कम भी कीमत दी जा रही है। इसके अलावा धान की कहीं ज्यादा भी कीमत दी जा रही है। धान खरीदी केंद्रों के भुगतान की जवाबदेही शासन और विपणन संघ की होती है। जबकि कृषि उपज मंडी में किसानों द्वारा भेजे गए धान के भुगतान की जिम्मेदारी मंडी के व्यापारी और कृषि उपज मंडी की होती है। यहां खुला व्यापार है। जबकि धान खरीदी केंद्र पर निर्धारित दर पर एकल बाजार व्यापार की पद्धति है। इस कारण धान बेचने के नियमों में फर्क है। सामान्य व्यापारी धान खरीदी केंद्र से धान नहीं खरीद सकता है।

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