नई दिल्ली: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ आज से शुरू होगा। छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार नहाए-खाय 18 नवंबर, खरना 19 नवंबर को, साझेदार का अर्घ्य 20 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 21 नवंबर को है।
सूर्योपासना में क्या-क्या होता है?
सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिव्य महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत: करन की शुद्धि के लिए आज नहाय खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल और स्वच्छ जल के स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर रहे हैं। इस व्रत को शुरू करेंगे। महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बने खीर खाते हैं और जब तक चांद नजर आये तब तक जल पीते हैं।
तीसरा और चौथा दिन क्या होता है?
इसके बाद से उनका लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी (डूबते हुए) सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उरीमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।