घातक होता कोरोना: इंदौर में कोरोना की तीसरी लहर, नए रोगी 313, 4 की जान भी चली गई,
घातक होता कोरोना: इंदौर में कोरोना की तीसरी लहर, नए रोगी 313, 4 की जान भी चली गई,

इंदौर में कोरोना की तीसरी लहर आ गई है। कलेक्टर मनीष सिंह ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि जिस तरह मरीज सामने आ रहे हैं, उससे लग रहा है कि ये तीसरी लहर की स्थिति है। निजी अस्पतालों में ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं और वहां 90 फीसदी तक बेड फुल हैं। प्रशासन हर दिन बिस्तर उपलब्धता की जानकारी ले रहा है। अन्य जिलों के रोगी आने से भी अस्पतालों में बेड भरने वाले। अब मरीजों को सुपर विशेषिएलिटी सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में डायवर्ट करेंगे। वहाँ अभी भी बिस्तर के समान खाली हैं। स्वास्थ्य विभाग अफसरों का कहना है कि त्योहारों के दौरान फार्मेसियों में भीड़ और मौसम परिवर्तन के कारण रोगी बढ़ रहे हैं। वहीं, डीआईजी ने लोगों को समझदारी के बाद भी स्पष्ट जवाब देने पर फिर से चालानी कार्रवाई शुरू करने की बात कही है।

पुलिस पर चालानी कार्रवाई नहीं होगी
डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया कि किस प्रकार से कोरोना की तीसरी लहर आ रही है। इससे हमारे सामने मुश्किलें बढ़ रही हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। Usware रहने की अभी बहुत जरूरत है। अभी हम काफी लापरवाह होकर घरों से बाहर निकल रहे हैं। त्योहारों में बढ़ी हुई भीड़ से यह समस्या खड़ी हो रही है। पहले पुलिस की समझदारी, यदि लोग सकाम नहीं होंगे तो चालानी कार्रवाई की जाएगी। चरणों को लागू नहीं करने के बारे में 10 घंटे में जेल में रहने के सवाल पर कहा कि अभी तक ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।

अब 313 मरीज मिले, चार की मौत भी हुई
इंदौर में लौटी कोरोना की लहर का असर गुरुवार देर रात आई रिपोर्ट से साफ समझा जा सकता है। 313 नए पॉजिटिव मरीज आने के साथ ही 4 मरीजों की जान भी गई है। इंदौर में इससे पहले 16 अक्टूबर को 312 पॉजिटिव मिले थे। 7 नवंबर, 10 और 11 नवंबर को 4-4 मौतें हुईं। नवंबर के 19 दिनों में 2409 नए पाजीटिव और 44 मौतें हो चुकी हैं। कोरोना से अब तक 726 मरीजों की जान जा चुकी है। वहाँ, ३६६२३ प्रकार के रोगियों में से ३३५ ठीक३ ठीक वाले घर लौट चुके हैं। गुरुवार देर रात 3391 टेस्ट सैंपलों की रिपोर्ट आई, जिसमें 3032 निगेटिव मरीज मिले। 44 की रिपोर्ट रिपीटरी पॉजिटिव आई। जिले में अभी तक 2324 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है। रैपिड एंटीजन सैंपल की बात करें तो अब तक 1 लाख 50 हजार 571 सैंपल लिए जा चुके हैं। वहीं, अब तक कुल 4 लाख 57 हजार 102 मरीजों के टेस्ट किए जा चुके हैं।

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इन क्षेत्रों में मिलावट
देर रात 144 एरिया में अलर्ट मिला। सबसे अधिक 14 पॉजिटिव स्कीम नंबर 78 में आए हैं। इसके अलावा न्यू पलासिया में 10, विनय नगर में 7, पलसीकर कॉलोनी, साउथ तुकोगंज, स्कीम नंबर 54, बख्तावर रामनगर, विजय नगर, स्कीम नंबर 74 में 6-6, राजेंद्र नगर, नंद नगर, ओल्ड पलासिया और विश्राम कॉलोनी में 5- 5, जवाहर मार्ग, गुमाश्ता नगर, अनूप नगर, वंदना नगर, कालिंदी प्रमुख, मिजी, इंदिरापुरी कॉलोनी, तुलसी नगर में 4-4 मरीज मिले हैं।

पहली लहर- 24 मार्च से 30 मई

पॉजिटिव रेट- 9.76 मृत्यु- 132 मृत्युदाता- 3.78

रिकवरी रेट- 56%

दूसरी लहर- 11 जुलाई से 24 अक्टूबर

पॉजिटिव रेट- 3.71 मृत्यु – 412 मृत्युदर- 1.46

रिकवरी रेट- 40%

अब तीसरी लहर 12 नवंबर से

पॉजिटिव रेट- 7.80 मृत्यु- 12 मृत्युदर- 1.2

रिकवरी रेट- 69%

इसलिए मान तीसरी लहर है

  • नवंबर के पत्रों में 7 दिन में मरीजों की संख्या 2 अंकों में थी और कुल 498 मरीज आए। उसके बाद रोगी का चलना शुरू हुआ और 8 से 18 नवंबर के 10 दिन में 1693 मरीज मिले। यह संख्या चार गुना अधिक थी।
  • चार दिन में मरीज दो गुना से ज्यादा बढ़े। 19 नवंबर को मरीजों की संख्या 300 के पार हो गई। यही बात रही तो नवंबर में हर दिन मरीजों की संख्या 300 से अधिक हो जाएगी।
  • त्योहार के दौरान उमड़ी भीड़ के कारण ऐसा पहली बार हो रहा है कि पूरा परिवार योग्य होकर अस्पताल पहुंच रहा है। ज्यादातर के फेफड़े में 60 से 70 प्रति इंफेक्शन मिल रहा है।
  • जैसे पलासिया क्षेत्र में एक परिवार ने संयुक्त भाई दूज मनाई थी, उनके यहां सभी बीमार हो गए हैं।

तीसरी लहर से आगे क्या होगा

  • आशंका है कि दिसंबर में प्रतिदिन रोगी 400 के आसपास भी हो सकते हैं।
  • ठंड की वजह से ए-सिम्प्टोमैटिक रोगी कम हो सकते हैं, क्योंकि सर्दी-खांसी के कारण लोग बीमारी की चपेट में अधिक आ रहे हैं। यानी ज्यादातर मरीजों में लक्षण नजर आते हैं।
  • दमा, दिल की बीमारी के मरीजों को ठंड में एहतियात बरतना होगा।

थोड़ा राहत ये ही …

  • बीमारी, उसके लक्षण की पहचान हो गई है, इलाज का फॉर्मूला बन गया है। गंभीर से गंभीर रोगी की भी जान बचाई जा सकती है। तीसरी लहर को बहुत ज्यादा घातक नहीं माना जा रहा है।
  • हर अस्पताल में इसका इलाज उपलब्ध है। कुछ नर्सिंग होम भी इलाज करने लगे। इससे उपचार में बहुत अधिक कठिनाई नहीं हुई।
  • कुछ निजी अस्पतालों को छोड़ दें तो ऑक्सीजन सिलेंडर, आईसीयू, वेंटिलेटर उपलब्ध हैं।

 

 

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