जानिए- छठ के मौके पर क्या-क्या होता है, घाटों को कैसे शादी हो जाती है, किस तरह के गाने बजाए जाते हैं
जानिए- छठ के मौके पर क्या-क्या होता है, घाटों को कैसे शादी हो जाती है, किस तरह के गाने बजाए जाते हैं

लोक आस्था का महापर्व छठ की विधिवत शुरुआत हो गई है। नहाय-खाय के साथ ही 36 घंटे के ये महापर्व शुरू हो गया है। आज भगवान भास्कर को व्रती महिलाओं के द्वारा पहले अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं, कल सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर इस महापर्व को संपन्न किया जाएगा।

जानिए किस-किस दिन होती है पूजा

आपको बता दें कि छठ पूजा के तीसरे भगवान भास्कर की तालाब और नदियों में जाकर व्रती महिलाएं पूजा करती हैं। इससे पहले नहाय-खाय के दिन ही इस महापर्व की शुरुआत हो जाती है। महापर्व के पहले दिन वर्ती महिलाएं अपने लिए शुद्ध भोजन पकाती है। इसके साथ ही वे भगवान की पूजा-अर्चना भी करते हैं। महापर्व के दूसरे दिन तरह-तरह के सेंसर बनाए जाते हैं।

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इसी तरह कई तरह के लोक गीत भी गए हैं। व्रती महिलाएं इस दिन भगवान से मन्नत भी मांगती हैं। वहीं, शाम के समय भगवान को प्रसाद का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद को घर के सभी लोगों में सूचीबद्ध किया जाता है। वर्ती महिलाएं भी इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं और फिर चांद के ढकना तक ही पानी पीती हैं। अगले दिन यानी महापर्व के तीसरे दिन सुबह से ही ताप बनने लगते हैं। इस दिन ढलते सूरज को पहला अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन सूर्योदय से पहले भी भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही इस महापर्व का अंत होता है।

घाटों पर होती है भारी सजावट, बजते हैं लोक गीत

छठ पर्व के आने से पहले ही घाटों की साफ-सफाई की जाती है। वहाँ, पूजा से पहले तक घाटों पर भारी सजावट की जाती है। तालाब या नदी के किनारे लाइट्स लगाए जाते हैं। इसके साथ ही प्रतिबंध के पेड़ भी लगाए जाते हैं। इतना ही नहीं, घाटों पर मुख्य खेल के लिए मंच भी बनाए जाते हैं। घाटों पर लोक गीतों की महफ़िल भी सजाई जाती है। आपको बता दें कि ये महापर्व आस्था का केंद्र माना जाता है।

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