पटना : राजद में वर्चस्व की लड़ाई अंजाम के रास्ते पर बढ़ चली है। यह पार्टी नहीं, पूरी तरह परिवार का मामला है। लालू परिवार का। प्रत्यक्ष तौर पर जगदानंद सिंह और तेजप्रताप आमने-सामने दिख रहे हैं, परंतु पर्दे के पीछे से कई किरदार हैं।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विधायक तेजप्रताप के अलावा राज्यसभा सदस्य मीसा भारती, लालू-राबड़ी की सिंगापुर में रहने वाली पुत्री रोहिणी आचार्य, हरियाणा निवासी संजय यादव और छात्र राजद आकाश यादव दो गुटों में बंट गए हैं। हर सदस्य किसी न किसी के साथ खड़ा है। दूसरे के रास्ते में अड़ंगा भी डाल रहा है। समीकरण सीधा है। जगदानंद ंिसह को तेजस्वी का करीबी माना जाता है और तेजप्रताप को मीसा भारती से समर्थन मिलता है।
जाहिर है परोक्ष रूप से तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच ताकत बढ़ाने-बचाने और दूसरे पर हावी हो जाने की लड़ाई है। भरपूर जोर आजमाइश है। माना जा रहा है कि छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव पर जगदानंद सिंह ने तेजस्वी के समर्थन और संकेत के बाद ही कार्रवाई की है।
करीब छह वर्ष पहले लालू प्रसाद ने पार्टी, परिवार और पुत्रों में संतुलन बनाने के लिए तेजप्रताप यादव को छात्र राजद की जिम्मेदारी सौंपी थी। तबसे तेजप्रताप ही तय करते आ रहे थे कि छात्र राजद में किसे कौन सा पद दिया जाएगा। किसे कब हटाया जाएगा। इसे लेकर राजद में कई बार असहज स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।
स्वयं तेजप्रताप भी आकाश को कई बार हटा-बना चुके हैं। अबकी तेजप्रताप ने जगदानंद को खुली चुनौती देकर साफ कर दिया है कि वह भी झुकने-टूटने के लिए तैयार नहीं हैं। दोनों ओर से तलवारें खिंची हुई है। जगदानंद का जितना कड़ा प्रतिरोध तेजप्रताप कर रहे हैं, लगभग उतनी ही मजबूती से तेजस्वी उनका समर्थन कर रहे हैं।
ताजा प्रकरण में भी उन्होंने जगदानंद के पक्ष में खुलकर बयान दिया है कि पार्टी में फैसले लेने के लिए वह स्वतंत्र हैं। पार्टी में कौन रहेगा, कौन नहीं और क्या बदलाव होगा, ये सारे फैसले प्रदेश अध्यक्ष ही करेंगे, जबकि तेजप्रताप कार्रवाई चाहते हैं। स्पष्ट है कि लालू परिवार में इस बार उठे विवादों पर विराम लगने के संकेत फिलहाल नहीं दिख रहे हैं।
लालू के पुत्र मोह के चलते मीसा भारती और तेजप्रताप की महत्वाकांक्षा पनपती-बढ़ती रहेगी। 11 वर्षों से तेजस्वी के साथ हैं संजय : हरियाणा के नांगल सिरोही गांव के निवासी जिस संजय यादव पर तेजप्रताप परिवार में फूट डालने का आरोप लगा रहे हैं, वह पिछले 11 वर्षों से तेजस्वी के साथ हैं। दोनों की पहली बार 2010 में दिल्ली में मुलाकात हुई थी।
दोस्ती मजबूत हुई। 2015 के विधानसभा चुनाव में संजय का काम अच्छा लगा तो राजनीतिक सलाहकार बना लिया। तबसे साये की तरह हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में संजय ने तेजस्वी को लालू की कमी नहीं खलने दी। हर कदम पर साथ दिया। रणनीति बनाई। कामयाबी भी मिली। यहीं से वह तेजप्रताप के रास्ते की बाधा नजर आने लगे।