उत्तराखंड । नित्य अभिषेक पूजा के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट ब्रह्ममुहूर्त के बजाय सुबह सात बजे खोले जाने को लेकर हुए विवाद का मंगलवार को पटाक्षेप हो गया था, लेकिन उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने इस मामले में बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत की पूरी सहमति होने संबंधी बयान जारी कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। डिमरी केंद्रीय पंचायत का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड गलत बयानी कर कपाट खोलने के समय में बदलाव के अपने निर्णय पर पर्दा डाल रहा है।
देवस्थानम बोर्ड ने कोरोना से उपजी परिस्थितियों के चलते अभिषेक पूजा के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने का समय सुबह सात बजे कर दिया था। इसके बाद 19 मई से लेकर 29 मई तक मंदिर के कपाट सुबह सात बजे ही खोले गए। इसके पीछे देवस्थानम बोर्ड का तर्क था कि मंदिर में अभिषेक पूजा के लिए बामणी गांव से समय पर गाय का ताजा दूध उपलब्ध नहीं हो पा रहा। इसलिए कपाट खोलने का समय बदला गया। नियमावली का हवाला देते हुए बताया गया कि 1970 से 1975 के बीच मंदिर के कपाट सुबह सात बजे ही खोले जाते रहे। वर्ष 1975 में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान मंदिर समिति ने यात्रियों की सुविधा के लिए यह समय सुबह 4.30 बजे कर दिया। ऐसे में कपाट खोलने का समय बदलना परंपरा को खंडित करना नहीं है।
अब देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बोर्ड के निर्णय में डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत की पूरी सहमति बताई है। जबकि डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने इस तरह का पत्र जारी करने का कड़ा विरोध किया है। डिमरी पंचायत के अध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बोर्ड पर पूजा परंपराओं को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर सुबह सात बजे का समय शास्त्रसम्मत था तो फिर इसमें बदलाव क्यों किया गया। बोर्ड अपनी गलती छिपाने के लिए गलत तथ्यों का सहारा ले रहा है।
इधर सीएम की अपील पर मौनी बाबा ने तोड़ा अनशन
बदरीनाथ मंदिर में नित्य दर्शन की मांग को लेकर अनशन कर रहे धर्मराज भारती (मौनी बाबा) और भगवत दास (ब्रह्मचारी बाबा) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अपील पर अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। गुरुवार देर शाम मंदिर के आगे दोनों को धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल ने मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री की अपील सुनाई और माला पहनाकर अनशन समाप्त करवाया। इससे पूर्व मौनी बाबा ने अनशन जारी रखने का एलान करते हुए कहा था कि बुधवार को उनके मंदिर के बाहर प्रसाद स्वरूप चरणामृत ग्रहण करने के बाद देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारियों समेत पुलिस द्वारा अनशन टूटने की बात पूरी तरह निराधार थी।
मौनी बाबा और बह्मचारी बाबा बीती 23 मई से बदरीनाथ धाम स्थित अपने-अपने आश्रम में अनशन कर रहे थे। मौनी बाबा ने तो बीते सोमवार से जल का भी त्याग कर दिया था। गुरुवार सुबह जारी एक वीडियो संदेश में मौनी बाबा ने कहा था कि वह रोजाना मंदिर में दर्शन के बाद ही अन्न ग्रहण करते आ रहे हैं। यह उनकी तपस्या का हिस्सा है, जिसे वह खंडित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा था कि मंदिर में दर्शन की अनुमति मिलने तक वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे। देर शाम दूरभाष पर मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री की अपील के बाद दोनों ने अपनी हठ त्याग दी। विदित हो कि बदरीनाथ में चल रहे दोनों साधुओं के समर्थन में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि समेत तमाम संत आ गए थे।
गुरुवार को देश के प्रमुख संतों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा था कि संतों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है। अनशन पर बैठे संतों को अगर अविलंब दर्शन का अधिकार नहीं मिला तो इसके विरुद्ध उग्र आंदोलन किया जाएगा। स्वामी यतींद्रानंद के अनुसार उन्होंने सरकार से बातचीत कर संतों के अनशन को समाप्त कराने का निवेदन किया था। उन्होंने धर्माधिकारी व बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी पर असत्य जानकारी का आरोप लगाया।