जयपुर : राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता से जुड़े प्रविधान वाले विधेयक को वापस लेने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को इसके संकेत दिए हैं।
उन्होंने कहा कि यह कोई प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है। गौरतलब है कि विधेयक को लेर सरकार के निर्णय का लगातार विरोध हो रहा था। सूबे की सरकार ने गत 17 सितंबर को राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक-2021 पारित किया था। इसमें बाल विवाह का भी रजिस्ट्रेशन करने का प्रविधान किया गया था
विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता गुलाब चंद कटारिया और उप नेता राजेंद्र राठौड़ सहित कुछ अन्य विधायकों ने इस विधेयक का विरोध किया था। आरोप लगाया था कि यह विधेयक बाल विवाह को मान्यता देने जैसा ही है। राष्ट्रीय बाल अधिकारिता संरक्षण आयोग ने भी विधेयक पर आपत्ति जताई थी ।
ऐसे में गहलोत ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित वर्चुअल समारोह में कहा कि राज्य में बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने को लेकर विवाद किया जा रहा है। लेकिन, यह प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है। सरकार विधि विभाग में इसका अध्ययन करा रही है। राज्यपाल से आग्रह है कि विधेयक सरकार को वापस भेज दें ।
अगर कानूनी राय विपरित आएगी तो हम विधेयक को आगे नहीं बढ़ाएंगे । उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला था कि हर शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, इसलिए ऐसा किया गया था। गहलोत ने कहा कि राजस्थान में किसी कीमत पर बाल विवाह नहीं हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा।