भोपाल गैस कांड के 254 पीड़ितों की को -19 से मृत्यु, अतिरिक्त मुआवजे की मांग
भोपाल गैस कांड के 254 पीड़ितों की को -19 से मृत्यु, अतिरिक्त मुआवजे की मांग

विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड की 36 वीं बरसी की पूर्व संध्या पर इस त्रासदी के पीड़ितों के लिए काम कर रहे संगठनों ने दावा किया है कि कोरोनावायरस संक्रमण से भोपाल जिले में 18 नवंबर तक भोपाल गैस त्रासदी के 254 पीड़ितों की मौत हुई है। ।

इस संगठनों ने कहा कि भोपाल में कोविद -19 से भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित लोगों की मृत्यु दर अन्य लोगों से लगभग 6.5 गुना ज्यादा है। इसलिए कोरोना महामारी से साबित हुई दूरगामी शारीरिक क्षति के लिए यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल अतिरिक्त मुआवजा दें।

हालांकि, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास निदेशक बसंत कुर्रे ने कहा कि दो दिसंबर तक को विभाजित -19 से भोपाल जिले में कुल 518 लोगों की मौत हुई है, जिसमें से केवल 102 लोग भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित थे। भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित जिन 102 लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है, उनमें से 69 लोगों की उम्र 50 साल से अधिक थी, जबकि 33 लोगों की उम्र 50 साल से कम थी।

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संगठन का दावा- हमने सभी के घर जाकर पता लगाया कि वे पीड़ित थे या नहीं

भोपाल गैस पीड़ितों के हितों के लिए लंबे अरसे से काम करने वाले संगठन ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ की सदस्य रचना ढींगरा ने बुधवार को दावा किया कि भोपाल जिले में को विभाजित -19 की वजह से अब तक 518 मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिन में 18 अक्टूबर तक इस बीमारी से मरे जिन 450 लोगों का जिक्र था, उनके घर-घर जाकर हमने पता लगाया कि वे भोपाल गैस।

हमें पता चला है कि इन 450 मृतकों में से 254 लोग भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित थे। उन्होंने कहा कि कोविड -19 से अन्य लोगों की तुलना में भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित लोग ज्यादा मर रहे हैं।

जब उनसे पूछा गया कि राज्य सरकार भोपाल गैस कांड के पीड़ित केवल 102 लोगों की को विभाजित -19 से मरने की पुष्टि कर रही है, तो उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के संक्रमण से मरे इन 254 लोगों के पास भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार के लिए बनाए रखा गया अस्पताल भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) का स्मार्ट कार्ड और इस गैस कांड के मुआवजे के आदेश की प्रतिलिपि थी।

लिंगंगरा ने कहा कि हमने ये स्मार्ट कार्ड और मुआवजे के आदेश की कॉपी इन मृतक लोगों के घर-घर जाकर उनके परिजनों से ली हैं और उनकी पहचान भोपाल गैस पीड़ित के रूप में की है। उन्होंने कहा कि हमने ये दस्तावेज मुख्य चिकित्सा अधिकारी (गैस राहत) रवि वर्मा को भी सौंपे हैं।

उन्होंने दावा किया कि दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड के भोपाल स्थित कारखाने से रिसी जहरीली गैस मिक (मिथाइल आइसोसाइनाइट) से अब तक 20,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और लगभग 5.68 लाख लोग मारे गए हैं।

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