दतिया. स्मार्ट सिटी की बैठक को लेकर गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने प्रेजेंटेशन के दौरान कई ऐसे सवाल उठाए कि स्मार्ट सिटी की प्रस्तुति देने वाले निरुत्तर हो गए। गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बैठक के प्रारंभ में ही पहले यह पूछा आप यह बताओ स्मार्ट का मतलब क्या होता है? हमारे दतिया शहर में स्मार्टनेस क्यों नहीं दिखाई देती। जो चीज प्रेजेंटेशन में दिख रही है वह हकीकत में ऐसी ही हो तब जाकर ही स्मार्ट सिटी का सपना पूरा हो पाएगा।
उन्होंने पूछा कि यह काम कब तक हो जाएगा, इस पर स्मार्ट सिटी कंपनी ने बताया कि एक सप्ताह का समय लगेगा। इस पर डॉ. मिश्रा ने तुरंत कहा कि एक सप्ताह बाद फिर से बैठ जाएंगे । स्मार्ट सिटी का मतलब लगना चाहिए कि शहर में दिवाली आ गई हो । फंड की तकलीफ के संदर्भ में जब गृहमंत्री को कलेक्टर ने अवगत कराया कि स्मार्ट सिटी एमडी इसको स्वीकृत करेंगे। इस पर गृहमंत्री डॉ. मिश्रा ने तुरंत ही स्मार्ट सिटी के एमडी निकुंज श्रीवास्तव को फोन लगाकर फंड रिलीज कराने की बात कही और तुरंत समस्या का निदान हो गया।
21 करोड़ की लागत से बनने वाली दतिया स्मार्ट सिटी की कई योजनाएं इस दौरान गृहमंत्री डॉ. मिश्रा के समक्ष रखी गई। प्रत्येक बिंदु पर उन्होंने अपना विचार रखा।
मंत्री बोले तो फिर मैं भी ठंडी सड़क पर मकान ले लेता हूं
स्थानीय ठंडी सड़क के संदर्भ में जब उन्होंने प्रश्न किया कि इस पर रात में चलने वाली इंडिकेशन लाइटिंग की क्या व्यवस्था रहेगी? इस पर स्मार्ट सिटी के प्रवक्ता ने बताया कि उसका डामरीकरण हो जाएगा और बीच में हैलोजन लाइटिंग के साथ ही यहां बहुत ही सुंदर नजारा दिखेगा । इस पर मंत्री ने तपाक से कहा तो फिर मैं भी ठंडी सड़क पर मकान ले लेता हूं। इस सड़क पर डामरीकरण 15 दिनों बाद दिखाई देगा यह भी बताया गया। डॉ. मिश्रा ने आसपास के क्षेत्रों में पेड़ लगाने के संदर्भ में स्मार्ट सिटी के लिए सलाह दी कि यहां पर बड़, पीपल, कठवर जैसे पेड़ लगाया जाए, जो ठंडी छांव देते हैं। ये पेड़ चट्टान पर भी लगाए जा सकते हैं।

कलेक्टर को टोका, बोले समाधि को मजार मत कहिए
कलेक्टर संजय कुमार जब ठंडी सड़क को विकसित करने के संदर्भ में बता रहे थे, तभी उन्होंने उसके समीप आने वाली एक समाधि को मजार कह दिया। इस पर गृहमंत्री डॉ. मिश्रा ने तुरंत बोला हमारे यहां साधु संत को भी दफनाने का रिवाज था। यह मजार नहीं साधू संत की समाधि है। अतः आप समाधि को मजार ना कहें।
झांसी रोड ब्रिज को लेकर भी दिया सुझाव
स्मार्ट सिटी की समीक्षा के दौरान जब झांसी रोड स्थित ब्रिज का जिक्र आया तो उन्होंने कहा कि इस ब्रिज से गुजरने वाले को यह लगना चाहिए कि किसी शहर से गुजर रहे हैं। अतः राजगढ़ किले और अन्य महत्वपूर्ण बिल्डिंगों पर इस तरह की लाइटिंग लगाई जाए कि रात के समय बरबस ही उस पर निगाहें चली जाए और जो हमारा दिव्य दतिया का कंसेप्ट है, वह साकार हो सके। उन्होंने कहा कि ब्रिज से गुजरते समय जो भी शहर की महत्वपूर्ण इमारतें हैं, उन पर लाइटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। रोड डिवाइडर पर कलर्स को लेकर भी उन्होंने कहा कि धूल से यह कलर खराब हो जाते हैं। अतः बारिश अथवा धोने की स्थिति में यह साफ-सुथरे दिखाई दे तो ज्यादा ठीक रहेगा।
इसके अलावा फायर स्टेशन को लेकर उन्होंने कहा यह तो मेरे ही विभाग का मामला है। इसके लिए पैसा मैं दे दूंगा। इस मद का जो पैसा है, वह किसी दूसरी अन्य जगह लगाइए या फिर पैसा वापस कर दीजिए । इसी तरह पीतांबरा मंदिर पार्किंग पर उन्होंने सेल्फी प्वाइंट बनाने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही एक निर्देश यह दिया कि ग्रामीण विकास बैंक के समीप पड़ी जगह पर भी पार्क विकसित किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्क बनाना तो आसान होता है, किंतु उसका मेंटेनेंस बहुत भारी होता है। अतः उसी स्थिति में बनाया जाए जब पार्क का मेंटेनेंस किया जा सके । उन्होंने एक बात और रखी की कलेक्टर सब अपने हिसाब से आते हैं और योजना बनाते हैं। मगर जब दूसरे कलेक्टर आते हैं तो पुराने कलेक्टर की योजनाएं धरी की धरी रह जाती है। अत: जो भी योजना बने वह सार्वभौमिक रूप से तैयार की जाए।