मप्र : नक्सलियों को हथियारों की आपूर्ति करने के आरोप में 8 गिरफ्तार

भोपाल: मध्य प्रदेश में नक्सली गतिविधियां बढ़ने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन नक्सलियों ने यहां के लिए रणनीति अलग तरीके से अपनाई है। नक्सली मध्य प्रदेश को हथियारों की आपूर्ति के ठिकाने के तौर पर उपयोग कर रहे हैं। यही वजह है कि नक्सली यहां किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने से बचते रहे हैं। प्रदेश में तीन प्रमुख स्थानों पर हथियारों की आपूर्ति महाराष्ट्र से होती रही है।

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे इन स्थानों पर घने जंगल की मौजूदगी नक्सलियों को हथियार देने वाले आरोपितों के लिए आसान बनाती रही है। प्रदेश पुलिस के प्रस्ताव पर हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डिंडौरी को नक्सल प्रभावित घोषित किया है।

इससे प्रदेश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या अब तीन हो गई है। सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में नक्सलियों ने किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दिया, ताकि सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान इस समस्या की ओर न जाए।

इस तरह वे कथित शांति का अहसास करवाते रहे। पुलिस पड़ताल में पता चला है कि प्रदेश के कई जंगलों का नक्सलियों तक पहुंचाए जाने वाले हथियारों के आपूर्ति केंद्र के तौर पर उपयोग किया जा रहा था।

यहां हथियार नक्सलियों को उपलब्ध कराए जाते और इसके बाद नक्सली अपने नेटवर्क के माध्यम से इन्हें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड भेज देते थे। हाल ही में नक्सलियों को हथियार उपलब्ध कराने वाले आरोपितों की गिरफ्तारी और उनसे पूछताछ में पता चला है कि हथियार मुख्यरूप से राजस्थान से खरीदे जाते थे।

यहां से उन्हें महाराष्ट्र ले जाया जाता था और फिर महाराष्ट्र की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के जिलों से इन्हें नक्सलियों तक पहुंचाया जाता था।

हथियारों के साथ ऐसा होता था रूट हथियारों की आपूर्ति के लिए महाराष्ट्र से लगने वाली बुरहानपुर, खरगोन और बड़वानी जिले की सीमाओं का उपयोग किए जाने की जानकारी मिली है।

खरगोन जिले की झिरन्या तहसील का पाल क्षेत्र और बड़वानी जिले के सेंधवा की सीमा आरोपितों के लिए ज्यादा आसान होती थी। यह क्षेत्र घने जंगलों वाला है। साथ ही आदिवासी बहुल होने के कारण समाजसेवा के नाम पर नक्सलियों का कुछ नेटवर्क भी यहा है। 

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