उज्जैन । ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर परिसर से मानव सभ्यता, संस्कृति व स्थापत्य कला के नित नए प्रमाण निकल रहे हैं। खुदाई स्थल का निरीक्षण करने बुधवार को भोपाल से पहुंचे पुरातत्व विभाग के दल को यहां से करीब दो हजार साल पुराने शुंग व कुषाण काल में निर्मित मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले हैं। पुराविदों का दावा है धर्मधानी उज्जयिनी में मानव के रहने के प्रमाण छठी शताब्दी ईसा पूर्व के मिलते हैं। यह नगरी तब भी काफी समृद्ध व वैभवशाली रही होगी।
पुरातत्व विभाग ने ज्योतिर्लिंग के समीप खुदाई में निकल रही पुरा संपदा के निरीक्षण के लिए दल का गठन किया है। पुरातत्व अधिकारी डा.रमेश यादव के नेतृत्व में गठित इस चार सदस्यीय दल ने बुधवार दोपहर परिसर का निरीक्षण किया। शोध सहायक डा. ध्रुवेंद्रसिंह जोधा ने बताया कि खोदाई में शुंग, कुषाण, मौर्य तथा परमार काल में निर्मित मिट्टी से बने पात्रों के अवशेष मिले हैं।

इसके अलावा दसवीं शताब्दी की एक भग्न मूर्ति भी मिली। इसके पाद वलय अब भी सुरक्षित हैं। पुराविद डा. रमण सोलंकी ने बताया कि पद्मश्री डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने 1962 में चौबीस खंबा माता मंदिर क्षेत्र में खोदाई की थी, तब भी छठी शताब्दी ईसा पूर्व की बसाहट व लोगों के रहने के प्रमाण मिले थे। इससे पता चलता है कि तब भी यह नगरी समृद्ध व वैभवशाली रही होगी।