उज्जैन : ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के समीप खोदाई में एक बार फिर करीब एक हजार साल पुरानी पुरा संपदा मिली है। पुराविदों के अनुसार सतत मिल रहे पुरावशेष से जाहिर है कि महाकाल मंदिर का गौरवशाली इतिहास रहा होगा। मुख्य द्वार पर भव्य शिव मंदिर और राजप्रासाद मौजूद होगा।
गौरतलब है कि गत वर्ष दिसंबर में भी यहां एक मंदिर के अवशेष मिले थे। उसके निरीक्षण के लिए दिल्ली से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम भी उज्जैन आई थी। पुराविद डा. रमण सोलंकी ने बताया कि दिसंबर, 2020 में जिस मंदिर के अवशेष मिले थे, वह भी करीब एक हजार साल पुराना रहा होगा।
ताजा पुरावशेष भी उसके समीप के ही मिले हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के समीप इस स्थान पर मिले पुरावशेष परमारकालीन मंदिर के स्थापत्य खंड हैं। इसमें स्तंभ और उस पर भारवाही कीचक (मुख्य स्तंभ) प्रमुख हैं। उज्जैन विकास प्राधिकरण ने इन स्थापत्य खंडों को एक स्थान पर एकत्रित किया है।
उच्चकोटि का शिल्पांकन डा. सोलंकी ने बताया कि भारवाही कीचक की चारों मुखाकृति लगभग 75 डिग्री के आकार में मौजूद हैं। मुखाकृति का कुछ हिस्सा टूट गया है, लेकिन जिस प्रकार इसका शिल्पांकन है, उससे प्रतीत होता है कि परमार शासक के उच्चकोटि के शिल्पी ने इसे बनाया होगा। स्तंभों पर की गई बेल-बूटों की नक्काशी भी बेजोड़ है।