रबी फसल के लिए अमृत की बरसात, किसानों को राहत,चना, सरसों और मटर की फसल के लिए होगी लाभकारी

दतिया.जिले में गत रविवार रात हुई बरसात से कृषि क्षेत्र में लाभ मिलने की संभावना है। रबी की फसल के लिए यह बरसात अमृत के समान मानी जा रही है । कृषि विभाग के अनुसार यह बारिश रबी की फसल को अंकुरण में सहायक सिद्ध होगी । नवंबर माह में बारिश का जहां मौसम पर असर होगा, वहीं ज्यादा ठंड और हल्की बारिश से गेहूं, चने की फसल को फायदा पहुंचेगा। कृषि विभाग के अनुसार चना, सरसों तथा मटर की बुआई हो चुकी है। गेहूं की बोवनी होना बाकी है। जिले में लगभग दो लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल का रकबा निर्धारित किया गया है।

जानकारी के अनुसार रविवार रात को जिले में कुछ स्थानों पर अच्छी बरसात हुई है। यह बरसात रबी की फसल के लिए फायदेमंद मानी जा रही है। इससे गेहूं और चने की फसल खासकर प्रभावित होगी। जिन किसानों ने कुछ समय पूर्व बोवनी कर दी है, उनके खेतों में अंकुरण ठीक से हो सकेगा । जहां अंकुरण हो चुका है वहां चना, सरसों और मटर की फसलों के पौधों को भी इससे फायदा मिलना तय माना जा रहा है। क्षेत्र में लगभग सभी जगह धान की कटाई पूरी हो चुकी है और अब धान मंडियों में बिकने के लिए भी पहुंच गया है। ऐसे में यह पानी खेती-किसानी के लिए ज्यादा फायदेमंद है।

कृषि विभाग के अधिकारी आरके पाराशर के अनुसार किसानों को मौसम से मिले फायदे का पूरा लाभ लेना चाहिए । उन्होंने बताया कि किसानों के लिए जिले में खाद और बीज आदि की भी कमी नहीं है। अभी क्षेत्र में गेहूं की बोवनी पूरी नहीं हुई । ऐसे में यह बरसात गेहूं की फसल के लिए पलेवा ( प्री-इरिगेशन) का कार्य करेगा। इसके अलावा किसानों के डीजल, बिजली और समय की भी इससे बचत होगी।

मौसम विभाग के अनुसार आगामी एक-दो दिन तापमान सामान्य रहेगा, किंतु उसके बाद पारे में गिरावट की संभावनाएं आंकी जा रही है। कृषि विभाग का कहना है कि फसलों में कीटनाशक या खाद का छिड़काव खेतों में नमी रहने के दौरान सावधानीपूर्वक करें। एसडीओ पाराशर ने बताया कि नवंबर माह में पानी गिरना फायदेमंद है, क्योंकि बोवनी के बाद अब रबी की फसल अंकुरण की ओर है। खाद व कीटनाशक का इस्तेमाल किसानों को सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कृषि विभाग ने सलाह दी है कि खाद व कीटनाशक का छिड़काव नमी कम होने पर किया जाए तो ज्यादा बेहतर रहेगा।

किसान यह बरतें सावधानियां

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▪️ किसानों को उपचारित बीज का ही उपयोग करना चाहिए। उपचारित बीज नहीं होने से फसल खराब होने का डर रहता है।

▪️ धान की फसल जो कट चुकी है यदि वह खेत में है, तो उसे पॉलिथीन से पूरी तरह से ढककर रखें।

▪️ जिले में बीज की उपलब्धता सहज है, एक हेक्टेयर में गेहूं के लिए 80 से 1 क्विंटल बीज का उपयोग किया जाना चाहिए।

▪️ इसी तरह चने की फसल के लिए भी 75 से 90 किलो प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल निर्धारित दर के अनुसार ही किया जाए तो फसल बेहतर रहेगी।

▪️ बीज और फसल के बीच का अंतर किसान को समझना होगा । घर में रखी फसल कभी भी बीज नहीं हो सकती । उसे उपचारित करना आवश्यक होता है।

▪️ जहां तक संभव हो किसान सीड रिप्लेसमेंट के माध्यम से बीज लें और उसे खेत में डालें । ताकि अंकुरण समय पर और अच्छा हो।

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